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कम लागत में किसान लें अधिक पैदावार

जमानिया (गाजीपुर) : दिन पर दिन खेतीबारी की लागत बढ़ती जा रही है पर पैदावार नहीं। इससे किसान खेती से

By Edited By: Published: Sat, 15 Nov 2014 07:35 PM (IST)Updated: Sat, 15 Nov 2014 07:35 PM (IST)

जमानिया (गाजीपुर) : दिन पर दिन खेतीबारी की लागत बढ़ती जा रही है पर पैदावार नहीं। इससे किसान खेती से दूर होते जा रहे हैं। वर्तमान में ऐसी कई आधुनिक तकनीक आ गई हैं जिसके माध्यम से खेती करने पर लागत कम आएगी और पैदावार अधिक होगी। ऐसी आधुनिक मशीनें भी मौजूद हैं जिससे बोआई में काफी समय बचाया जा सकता है। यह कहना है कृषि वैज्ञानिकों का है।

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वे शनिवार को जमानिया ब्लाक पर आयोजित कृषि मेला एवं गोष्ठी में किसानों को वे संबोधित कर रहे थे। मेले में बीज, उर्वरक, दवाएं, कृषि उपकरण एवं मृदा परीक्षण आदि के स्टाल भी लगाए गए थे। जिला कृषि उपनिदेशक उदय प्रताप सिंह ने किसानों के हित में चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी दी। कृषि वैज्ञानिक डा. एसके सिंह, सीपी सिंह, सत्येंद सिंह, डा. डीके सिंह ने खेती से जुड़ी जानकारी दी। इसके पहले मेला का उद्घाटन मंत्री प्रतिनिधि मन्नू सिंह ने किया।

कहा कि प्रदेश सरकार का बुनियादी सुविधाएं बेहतर करने के लिए तेजी से प्रयास जारी है। इस मौके पर अक्षय लाल शर्मा, मृत्युंजय सिंह, अनिल यादव, बृजेश यादव, धर्मेद्र पांडेय, रजनीकांत यादव, रामानुज पांडेय, आदि मौजूद थे। संचालन कृषि वैज्ञानिक डीएन राय ने किया।

जीरो टिलेट से करें बोआई

गेहूं की बोआई जीरो टिलेट से करने से किसानों को खेत की जोताई नहीं करनी पड़ती है। इससे जुताई का खर्च बच जाता है। धान की कटाई के बाद अगर खेत में थोड़ी भी नमी है तो इस विधि से बोआई कर दें। इससे पौधे स्वस्थ एवं मजबूत होते हैं। बीज एवं खाद एक ही कतार में गिरने से खाद का पूरा पोषण पौधे को मिलता है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे एक से दो सप्ताह का समय बच जाता है।

मिट्टी की कराएं जांच

फसल बोने से पहले उस खेत की मिट्टी की जांच अवश्य कराएं। इसकी जांच पीजी कालेज के कृषि विज्ञान केंद्र और जिला कृषि विभाग में की जाती है। जांच फीस सात से दस रुपये है। चार से पांच दिन में रिपोर्ट मिल जाती है। जांच से पता चलता है कि उस खेत में किन पोषक तत्वों की कमी है। उसके हिसाब से ही खाद डाली जाती है।

बोने से पहले करें बीज शोधन

बीज कोई भी हो उसे बोने से पहले उसका शोधन जरुर करें। एफटीआर सिस्टम से बीज का उपचार करने से अधिक से अधिक बीज अंकुरित होते हैं और उन्हें कोई रोग भी नहीं पकड़ता। इसमें ज्यादा खर्च भी नहीं आता।

गेहूं की उन्नत प्रजातियां

कृषि विज्ञान केंद्र पीजी कालेज के वैज्ञानिक डा. दिनेश सिंह ने बताया कि गेहूं की दर्जनों उन्नत प्रजातियां हैं। 15 से 30 नवंबर तक होने वाली अगेती बोआई के लिए पीबीडब्ल्यू 621, एसडी 2967, डीबीडब्ल्यू 17, डीबीडब्ल्यू 39, सीबीडब्ल्यू 38, के 307 का प्रयोग किया जा सकता है। एक से 15 दिसंबर तक होनी वाली बोआई के लिए पीबीडब्ल्यू 373, एसचीडब्ल्यू 234, पीबीडब्ल्यू 509, के 9423, के 7903 एवं के 0424 प्रजाति का प्रयोग करें। ऊसर भूमि में राज 3077, लोक वन, केआरएल 210, 213 एवं 19 प्रजाति को बोएं। इनमें से अधिकतर प्रजातियां कृषि विज्ञान केंद्र में उपलब्ध हैं।


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