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स्वार्थ ही प्रेम की जननी : राहुल महाराज

मलसा (गाजीपुर) : रघुनाथपुर गांव में चल रहे 28वां मानव धर्म सम्मेलन के चौथे दिन रविवार को संगीतमय राम

By Edited By: Published: Sun, 26 Oct 2014 06:45 PM (IST)Updated: Sun, 26 Oct 2014 06:45 PM (IST)
स्वार्थ ही प्रेम की जननी : राहुल महाराज

मलसा (गाजीपुर) : रघुनाथपुर गांव में चल रहे 28वां मानव धर्म सम्मेलन के चौथे दिन रविवार को संगीतमय रामकथा में रविवार को राघवाचार्य राहुल महाराज ने कहा कि स्वार्थ ही प्रेम की जननी है। जिसके अंदर त्याग, प्रेम व उपासना रहता है वही मानव कहलाने का अधिकारी है। मानव को मानवता सिखाने के लिए भगवान को खुद मानव का रूप लेकर धरती पर आना पड़ा। कहा कि संत केवल रास्ता दिखा दिखाते हैं।

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जीव पर अगर संत की निगाह पड़ जाए तो दशा व दिशा बदल जाती है। संत में दोनों ताकत रहती है। परमार्थ से उपासना तथा स्वार्थ से वासना की उत्पत्ति होती है। उपासना सुगंध देता है वही वासना में दुर्गध होती है। बिहार से पधारे कीर्तन सम्राट शिवजी महाराज ने कहा कि आहार से ही व्यवहार बदलता है। शुद्ध आहार मानव को मानवता की तरफ बढ़ने में मदद करता है। विधि के विधान को बदलने की ताकत संत में होती है।

श्रद्धा रखने की वस्तु है फेंकने की नहीं। इस समय में लोग लोभ में पागल हो गए हैं। इसके चलते अपना जीवन बर्बाद कर रहे हैं। सम्मेलन में प्रभात फेरी के साथ ही हवन-पूजन किया गया। रात में रामलीला का मंचन हुआ। भिखारी महाराज, श्रीकृष्णचारी महाराज, सदानंद, बद्री प्रसाद, विजय बहादुर यादव ने भी कथा अमृतपान कराया। संचालन दीनानाथ महाराज ने किया। संत दयाराम दास ने आभार जताया।


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