हिंदी को सहज बनाना स्वीकार्यकता के लिए आवश्यक
गाजीपुर : हिंदी दिवस के मौके पर नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में रविवार को विभिन्न संगठनों की ओर से गोष्ठियों के आयोजन किए गए। इस दौरान हिंदी की महत्ता का बखान किया गया। वक्ताओं ने लगातार कम हो रहे हिंदी के उपयोग पर चिंता जताई।
गोलाघाट स्थित बाबा जागेश्वर नाथ मंदिर में साहित्य चेतना समाज की ओर से 'इक्कीसवीं शताब्दी में हिंदी का स्वरूप' विषय पर गोष्ठी का आयोजन हुआ। स्वामी सहजानंद महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डा. मांधाता राय ने कहा कि इक्कीसवीं सदी के हिंदी का जो स्वरूप आया है उसमें बोल-चाल और लेखन में सरल शब्दों के प्रयोग से सहज बनाना भाषा की स्वीकार्यकता के लिए आवश्यक है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विदेशों में सरल हिंदी भाषा का प्रयोग कर सकारात्मक पहल की है। गोष्ठी में माधवकृष्ण, डा. विमला मिश्र, डा. व्यासमुनि राय, हरिनारायण हरीश एवं राजेश यादव ने विचार व्यक्त किए। संचालन डा. संतोष कुमार तिवारी एवं धन्यवाद ज्ञापन संस्था के संस्थापक अमरनाथ तिवारी अमर ने किया। गोराबाजार स्थित राधिका देवी विद्यालय में वेलफेयर क्लब की ओर से गोष्ठी में स्वामी सहजानंद महाविद्यालय के प्रवक्ता नमोनारायण राय ने कहा कि 14 सितंबर 1949 में हिंदी को राजभाषा घोषित किया गया था लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में लोगों ने हिंदी को तिरस्कृत किया।
इस मौके पर क्लब के गर्वनर पवन पांडेय, चंद्रिका प्रसाद, एवं हवलदार दुबे ने संबोधित किया। संचालन सिद्धार्थ मालवीय एवं क्लब के अध्यक्ष डा. शरद वर्मा ने आभार जताया। सैदपुर : हिंदी दिवस पर सामाजिक संस्था विशाल जनसेवा शिक्षा समिति के रहेड्डा स्थित कार्यालय पर गोष्ठी हुई। वक्ताओं ने कहा कि आज विदेशों से लोग हिंदी भाषा सीखने आ रहे हैं।
हम अपने ही देश में रहकर अपनी मातृभाशा को भूलते जा रहे हैं। इस मौके पर बृजेश सिंह, राघवेंद्र मिश्र, मनीष पाडेय, रामदरश यादव, यशवीर सिंह, अरुण सोनकर आदि मौजूद थे। गहमर : स्थानीय वेलफेयर सोसायटी की ओर से हिंदी दिवस पर गोष्ठी का आयोजन हुआ। अखंड गहमरी ने कहा वर्ष 1949 में हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला लेकिन 65 वर्ष बीतने के बाद भी हिंदी अपने ही देश में उपेक्षित है।
इस मौके डा. आनंद उपाध्याय, लक्ष्मीकांत उपाध्याय, आनंद गहमरी, प्रदीप कुमार, कुमार प्रवीण आदि थे। अध्यक्षता अशोक कुमार सिंह एवं संचालन मिथलेश गहमरी ने किया। देवकली : धनेश्वर स्नातकोत्तर महाविद्यालय कुसुम्ही खुर्द में हिंदी दिवस सप्ताह मनाया गया। कन्हैया यादव ने कहा कि मारीशस, फिजी, गियाना, सूरीनाम, श्रीलंका, इंडोनेशिया, थाइलैंड आदि देशों में हिंदी बोली एवं समझी जाती है लेकिन अपने ही देश में हिंदी उपेक्षित है। डा. रवींद्र यादव, डा. रामवृक्ष पटेल, डा. राकेश मौर्य आदि थे। संचालन डा. मदनलाल यादव ने किया।