पूरी क्षमता से नहीं चल रहा पंप गृह
जमानियां (गाजीपुर) : सूखा की मार झेल रहे किसानों को धान की फसल बचाने के लिए इन दिनों पानी की सर्वाधिक जरूरत है। चक्काबांध स्थित चौधरी चरण सिंह पंप गृह से 1050 क्यूसेक के सापेक्ष महज 640 क्यूसेक पानी ही नहरों में छोड़ा जा रहा है। नहरों में पर्याप्त पानी नहीं रहने से हेड के खेतों में ही पानी की कमी हो गई है। टेल वाले हिस्से में हाहाकार मचा है।
यहां के पंप गृह में आठ पंप लगे हैं। हर पंप की 150 क्यूसेक पानी देने की क्षमता है। एक पंप अतिरिक्त तौर रखा जाता है। पंप गृह का संचालन करने वाले सिंचाई यांत्रिक विभाग का दावा है कि सभी सात पंपों से पूरी क्षमता से पानी छोड़ा जा रहा है। तहसील क्षेत्र में 27 हजार आठ सौ 95 हेक्टेयर धान की खेती होती है। इन खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए 391 किमी नहरों का जाल है।
पानी के अभाव में अधिकतर नहरों व माइनरों में पानी नहीं पहुंच रहा है। पानी की कमी के चलते शिफ्टवार नहरों में पानी छोड़ा जा रहा है। अब खेतों में सूख रही फसल को बचाने के लिए किसान कर्ज लेकर डीजल इंजन व अन्य साधनों से पानी का इंतजाम कर रहे हैं। मौजूदा स्थिति यह है कि खेतों में दरारें पड़ गई हैं। इस बाबत सिंचाई यांत्रिक विभाग के सहायक अभियंता जयप्रकाश ने कहा कि पूरी क्षमता से नहरों में पानी छोड़ा जा रहा है।
सिंचाई निर्माण खंड-2 (वाराणसी) के अवर अभियंता लालमणि यादव ने बताया कि पंप गृह पर माप कराया जाता है तो 640 क्यूसेक पानी ही आता है।
किसानों का चकनालियों पर कब्जा
क्षेत्र में फैले नहरों के सिल्ट की सफाई व देखरेख तक ही सिंचाई विभाग सीमित है। नहरों से दूर खेतों तक पानी पहुंचाने का जिम्मा कुलाबा से निकले चकनालियों पर है। इसकी सफाई व मरम्मत नहीं हो रही है। सरकारी महकमों की लापरवाही से किसान चकनालियों को अपने खेतों में मिला लिए हैं। इसके चलते सिंचाई व्यवस्था चरमरा गई है। चकनालियों की मरम्मत व सफाई की व्यवस्था की जाए तो यह समस्या दूर हो सकती है।