डेढ़ घंटे रहा जाम, पैदल चलना भी दुश्वार
गाजीपुर : शहर में यातायात पुलिस के पास ट्रैफिक नियंत्रण का कोई प्लान नहीं है। मुख्य मार्ग पर आए दिन लगने वाला जाम इसका प्रमाण है। सोमवार को तो हद ही हो गई। बिना किसी कारण विशेष के विशेश्वरगंज से लाल दरवाजा तक का इलाका जाम की चपेट में आ गया। इसी दौरान लंका पर भी ऐसी ही स्थिति उत्पन्न हो गई। तीखी धूप की मार के बीच जाम इस कदर कि पैदल निकलना भी मुश्किल। जाम में फंसे तीन एंबुलेंस में सवार मरीजों की आंख के आगे मौत नजर आ रही थी तो स्कूली वाहनों में बैठे बच्चे भूख-प्यास से बिलबिला रहे थे।
महिलाएं भी रास्ता न मिलने से परेशान थीं। सुबह 11 से दोपहर 12.30 बजे तक रहे जाम की चपेट में शहर कोतवाली का हिस्सा आने पर भी खाकी वर्दीधारियों की सक्रियता नहीं दिखी। शहर में आए दिन लगने वाले जाम का प्रमुख कारण पुलिस महकमे के पास कोई नियोजित प्लान का न होना है। साथ ही सड़क किनारे खड़े बेतरतीब वाहन, अतिक्रमण किए ठेले-खोमचे हैं।
ऐसा नहीं है कि यह सिर्फ सोमवार को हो गया। हर दिन ऐसी ही स्थिति से राहगीरों को दो-चार होना पड़ता है। स्थिति भीषण हो जाने पर पुलिस जाम हटवा तो देती है लेकिन स्थाई समाधान का उपाय नहीं किया जाता। जाम में ऐसे राहगीर भी फंसे थे जो अपनी मोटरसाइकिलें किसी परिचित के यहां खड़ा कर पैदल गंतव्य तक जाने का प्रयास किए, लेकिन इसमें भी उन्हें बमुश्किल सफलता मिली।
गाड़ी उठाते ही आ गया फोन
गाजीपुर : यातायात पुलिस भी करे तो क्या, प्रदेश सरकार के कद्दावर लोग भी जब इसे बढ़ावा दे रहे हों। सोमवार को शहर कोतवाली के पास लगे जाम का कारण बने चार पहिया वाहन को ट्रैफिक पुलिस क्रेन से उठवाकर थाना परिसर में ले ही गई थी कि एक मंत्री के प्रतिनिधि का फोन आ गया। गाड़ी अपने लोगों की बताते हुए छोड़ देने का फरमान हुआ।
अब यातायात पुलिस करती तो क्या, भीड़ के सामने से उठाई थी तो उसे अपनी भी लाज बचानी थी। हजार रुपये की जगह महज दो सौ रुपये जुर्माना काटकर गाड़ी को छोड़ दिया। गाड़ी लेकर जाने वाले रौब गांठते हुए गए। उन्हें कोई सबक मिला ऐसा उनके हावभाव में नहीं दिखा।