उपकेंद्र के नामकरण का विरोध, नहीं हो सका सड़क जाम
भदौरा (गाजीपुर) : करहिया गांव में बन रहे 220 केवी के विद्युत उपकेंद्र का नाम भदौरा रखे जाने के विरोध में ताड़ीघाट-आरा मार्ग पर चक्काजाम करने की ग्रामीणों की मंशा पर प्रशासन की सक्रियता से पानी फेर दिया। एसडीएम कैलाश सिंह, क्षेत्राधिकारी के साथ दिलदारनगर, गहमर व सुहवल पुलिस के साथ पीएसी ने यहां मोर्चा संभाला।
गांव को छावनी में तब्दील देख ग्रामीणों ने अपना इरादा बदल दिया। हालांकि उन्होंने एसडीएम को पत्रक सौंपकर गहमर थाना प्रभारी को हटाने तथा विद्युत सब स्टेशन का नाम करहिया किए जाने तथा ग्राम प्रधान समेत गिरफ्तार किए गए ग्रामीणों से मुकदमा वापस लेने की मांग की। ग्रामीणों ने कहा कि मांगें पूरी नहीं हुई तो चार सितंबर को प्रदर्शन किया जाएगा।
गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले पर्यटन मंत्री ओमप्रकाश सिंह ने करहिया में 220 केवी बिजली सबस्टेशन का शिलान्यास किया। शिलापट्ट पर करहिया की जगह भदौरा लिखा होने से आक्रोशित ग्रामीणों ने रविवार को सब स्टेशन पर पहुंचकर विरोध प्रदर्शन किया। कार्य की देखरेख कर रहे रणजीत सिंह ने पुलिस को ग्रामीणों के खिलाफ मारपीट व लूटपाट की सूचना दी थी। मौके पर पहुंची गहमर पुलिस ने ग्राम प्रधान अयोध्या राम, प्रिंस सिंह, छोटन सिंह व अन्य को गिरफ्तार कर लिया।
इस मामले को लेकर गाव में तनाव बना है। इधर, ग्रामीणों ने मठिया पर बैठक की। कहा कि गांव की जमीन पर बन रहे पावर हाउस का नामकरण दूसरे गांव के नाम पर करना सरासर गलत है। इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा। इस मौके पर बृजकिशोर सिंह, लाल बहादुर सिंह, दीपक सिंह, बेचू राम, विश्वास सिंह आदि शामिल थे। अध्यक्षता तारकेश्वर सिंह व संचालन अशोक वर्मा ने किया।
भाजपा के प्रतिनिधिमंडल ने एसपी को सौंपा ज्ञापन
गाजीपुर : जमानियां क्षेत्र के करहिया गांव में ग्रामीणों पर पुलिस उत्पीड़न के खिलाफ भाजपा का प्रतिनिधिमंडल सोमवार को एसपी से उनके कार्यालय में मिला। इसमें शामिल पार्टी के जिला अध्यक्ष कृष्ण बिहारी राय ने कहा कि करहिया में पावर हाउस के लिए सरकार को जमीन दी गई थी। बाद में उस जमीन पर बनने वाले पावर हाउस के शिलापट्ट पर भदौरा लिखा गया।
इस काम के पीछे प्रदेश के कैबिनेट मंत्री का शह प्राप्त है। इसका स्थानीय ग्रामीणों ने विरोध किया तो पुलिस ने अकारण बलप्रयोग कर दिया। पुलिस की यह कार्रवाई पूरी तरह अवैधानिक है। प्रतिनिधिमंडल में शामिल अन्य लोगों ने सत्ता पक्ष पर जनता की आवाज को दबाने के लिए पुलिस के उपयोग की निंदा की। उन्होंने करहिया प्रकरण की निष्पक्ष जांच और दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
प्रतिनिधिमंडल में प्रो. बाबू लाल बलवंत, सुनील सिंह, रामनरेश कुशवाहा, ओमप्रकाश अकेला, पूर्व विधायक सिंहासन सिंह, कुंवर बहादुर सिंह, मनोज सिंह, अच्छे लाल गुप्त, प्रवीण सिंह आदि शामिल थे।