शासन के बोतल में कैद है 'तहसील' का जिन्न
कासिमाबाद (गाजीपुर) : कासिमाबाद को तहसील बनाने की मांग मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद भी अभी तक लटकी हुई है। इससे जनता में निराशा व्याप्त है। यह जिन्न अभी शासन के बोतल में कैद है।
बीते 20 फरवरी को बलिया में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कासिमाबाद को तहसील बनाए जाने की घोषणा की थी। सात मई को कासिमाबाद की चुनावी सभा में भी अपने इस वादे को दोहराया था। तहसील बनाने का पहला प्रस्ताव 1979 में शासन को भेजा गया था। दूसरा प्रस्ताव वर्ष 2008 में तत्कालीन विधायक कालीचरण राजभर के प्रयास से भेजा गया। दोनों बार क्षेत्र की जनता को निराशा ही हाथ लगी।
वर्ष 2012 में विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक शादाब फातिमा सदन में पहुंची तो लोगों को लगा कि कासिमाबाद को अवश्य तहसील का दर्जा दिलाएंगी। प्रस्तावित तहसील में मुहम्मदाबाद तहसील क्षेत्र की दो लाख 40 हजार छह सौ 19 आबादी, 30018 हेक्टेयर कृषि भूमि शामिल करने तथा नायब तहसीलदार पश्चिमी व उत्तरी सर्किल को सृजन की सिफारिश की गई थी।
सदर तहसील की एक लाख 14 हजार 369 की आबादी, 11130 हेक्टेयर कृषि भूमि, मरदह ब्लाक के 449 व बिरनो ब्लाक के 27 गांवों को शामिल किया जाना था। तीन थाना क्षेत्र कासिमाबाद, बरेसर व नोनहरा का संपूर्ण क्षेत्र, मुहम्मदाबाद कोतवाली का आंशिक क्षेत्र शामिल किया गया था। प्रस्ताव भेजने के बाद तत्कालीन विधायक की निष्क्रियता के चलते शासन इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया।
डा. मुरलीधर ने बताया कि लगता है कि यह घोषणा केवल चुनावी था, जिसे चुनाव में लाभ के लिए उठाया गया था। दयाशंकर यादव ने बताया कि कासिमाबाद तहसील बनाने की मांग काफी पुरानी है। भौगोलिक दृष्टिकोण से यह जरूरी है। नवीन वर्मा का कहना है कि तहसील बनने से लोगों को प्रमाणपत्र आदि के लिए दूर नहीं जाना पड़ेगा।
अनीता ने बताया कि तहसील बनने से महिलाओं को काफी सुविधा हो जाएगी। किसी तरह का कागजात लेने के लिए काफी भागदौड़ नहीं करनी पड़ेगी। डा. शब्बीर व शिवकुमार यादव ने बताया कि विधायक उनके क्षेत्र की हैं, अब तक उनके प्रयास से उम्मीद है कि कासिमाबाद अवश्य तहसील बनेगी।