तांबे के पात्र में छिपा सेहत का राज
गाजीपुर : कीमती क्राकरी के युग में तांबे के पात्रों की बढ़ती मांग। यह चौंकाने वाली बात है पर है सोलहो आने सच। इसके पीछे सेहत का राज है। खासकर मधुमेह पीड़ित इन पात्रों का इस्तेमाल कर रहे हैं। चिकित्सकों का कहना है कि इस पात्र में जल तथा खाद्य पदार्थ ग्रहण करने से शरीर का रेजिसटेंट बढ़ता है। इससे शरीर को ट्रेस एलीमेंट भी मिलते है।
प्राचीन युग से ही तांबे का विशेष महत्व रहा है। तांबे के बर्तन में रात का रखा जल सुबह सेवन करने से काफी लाभ होता है। इससे उदर विकार नहीं होते हैं। धर्मशास्त्रों में भी तांबे के बर्तन को शुद्ध माना गया है। इसके पात्र से देवताओं को जल चढ़ाया जाता है। खास तौर से शिवपूजन में इसका विशेष महत्व है।
पाचन क्रिया में होता है सहायक
तांबा और जस्ता ऐसे तत्व हैं तो शरीर के हर मेटाबोलिक क्रिया में कारगर होते हैं। मधुमेह के रोगियों के लिए तांबे के बर्तन का खास महत्व है। तांबा पाचन क्रिया में सहायक होता है।
आयुर्वेद में तांबे का महत्व
आयुर्वेद में तांबे का महत्व अधिक है। पेट की गड़बड़ी के चलते तमाम प्रकार की बीमारियां होती हैं। तांबे के बर्तन का इस्तेमाल करने से शरीर की बहुत सी बीमारियां दूर हो जाती हैं।
- डा. श्रीराम दुबे, जिला आयुर्वेद चिकित्सालय।
स्मरण शक्ति को करता है तेज
तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से मनुष्य की स्मरण शक्ति तेज होती है। साथ ही लीवर फंक्शन तेज होने के साथ इंसुलिन की सेंसीविटी को बढ़ावा मिलता है जिससे मधुमेह पर नियंत्रण रहता है।
- डा. वीजेपी सिन्हा, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक।