पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीन पर प्रतिबंध
गाजीपुर : अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीन लगाने पर शासन ने प्रतिबंध लगा दिया है। किसी केंद्र पर यह मशीन मिलने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। शासन ने अल्ट्रासाउंड के नियम में काफी बदलाव किया है। अब अल्ट्रासाउंड करने वाले चिकित्सकों को सीएमओ कार्यालय में उपस्थित होकर अपना स्वप्रमाणित प्रमाण पत्र भी जमा करना पडे़गा।
पिछले सप्ताह लखनऊ में आयोजित कार्यशाला में भाग लेकर लौटे अल्ट्रासाउंड के नोडल अधिकारी एवं डिप्टी सीएमओ डा. अशोक कुमार ने बताया कि शासन ने नई नीति तैयार की है। बदली व्यवस्था के तहत पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीन का प्रयोग नर्सिग होम एवं मोबाइल चिकित्सा टीम कर सकती है। वह भी उस स्थिति में जहां गर्भवती महिलाओं का उनके वार्ड में ही अल्ट्रासाउंड करना जरूरी होगा। उन्होंने बताया कि अगस्त में सलाहकार समिति की बैठक होगी। उसमें सभी पंजीकृत अल्ट्रासाउंड केंद्र संचालकों एवं संबंधित चिकित्सकों को बुलाया जाएगा। बैठक में ही चिकित्सकों से उनके प्रमाण पत्र की छाया प्रति जमा कराई जाएगी। साथ ही उसको स्व प्रमाणित कराया जाएगा। नए शासनादेश में अब केंद्र संचालकों को एक से अधिक अल्ट्रासाउंड मशीन रखने की छूट दी गई है।
बशर्ते उन्हें अपनी सभी मशीनों का विवरण विभाग में दर्ज कराना पडे़गा। साथ ही मशीन पर उसकेपंजीकरण का भी अंकन करना होगा।
लेना होगा प्रशिक्षण
नए शासनादेश के अनुसार अब एमबीबीएस चिकित्सकों को किसी मान्यता प्राप्त केंद्र से छह महीने का प्रशिक्षण लेना होगा। इसके बाद राज्य सरकार की ओर से आयोजित परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी। इसके बाद ही चिकित्सक अल्ट्रासाउंड करने के योग्य माने जाएंगे। शासन नें स्त्री रोग विशेषज्ञ, रेडियोलाजिस्ट एवं प्रशिक्षण प्राप्त एमबीबीएस को अल्ट्रासाउंड करने के योग्य माना है। अब नए अल्ट्रासाउंड केंद्र का पंजीकरण कराने के लिए इसमें से कोई एक योग्यता अनिवार्य है।
अगस्त से होगी छापेमारी
- एक दिवसीय कार्यशाला में अल्ट्रासाउंड के नए नियम के बारे में बताया जाएगा। इसके लिए अगले महीने सभी अल्ट्रासाउंड करने वाले चिकित्सकों एवं केंद्र संचालकों की बैठक बुला कर इससे अवगत कराया जाएगा। अगस्त से अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर छापेमारी अभियान चलाकर हो रहे फर्जीवाड़े को रोका जाएगा। - डा. अशोक कुमार, नोडल अधिकारी अल्ट्रासाउंड।