मिट्टी में मिल रही ऐतिहासिक धरोहरें
गाजीपुर : जनपद का क्षेत्रफल अपने अंदर कई पुरानी यादों को समेटे हैं। कई मंदिर, मस्जिद, मठ, तालाब, किले आदि ऐतिहासिक इमारतें जो देखरेख के अभाव में जमींदोज हो रही है। पुरातत्व विभाग इनकी देखभाल नहीं करता। इमारतें अनदेखी की शिकार हो रही है।
जिले में लार्ड कार्नवालिस, भितरी में अशोक स्तंभ एवं जमानियां स्थित लटिया विजय स्तंभ की देखरेख की जिम्मेदारी पुरातत्व विभाग के जिम्मे है। बाकी अन्य इमारतों का कोई पुरसाहाल नहीं है। नगर में नवाब साहब की बुर्जी, पहाड़ खां का तालाब, अलावलपुर में अलावल खां का मकबरा, भुड़कुड़ा मठ, परशुराम मंदिर, दिलदारनगर में नल-दमयंती का टीला सहित कई ऐसी ऐतिहासिक इमारतें हैं जो हर दिन अपना वजूद खोती जा रही हैं। केंद्र व राज्य सरकार ने इन विरासत की ओर से आंखें फेर ली है तो आमजन को भी इसकी तनिक भी परवाह नहीं है। कई पुराने टीले तो अराजकतत्वों का बन चुके हैं। उनका अतिक्रमण भी किया जा रहा है।
कूड़ाघर बना पहाड़ खां तालाब
नगर के बीचो-बीच पहाड़ खां का तालाब की मौजूदा स्थिति बहुत कुछ कहती है। उसके जहरीले पानी और पानी पर तैरते कूड़ा के जिम्मेदारी स्थानीय लोग हैं। उसकी सीढि़यों पर अतिक्रमण हो चुका है। लोग घरों की गंदगी उसमें डालने से परहेज नहीं करते। प्रशासन भी इस पुरानी विरासत को लेकर गंभीर नहीं है। कभी परिंदों से गुलजार रहने वाला तालाब पक्षियों की आमद का इंतजार कर रहा है।
ऐतिहासिक विरासत को सहेजना सबकी जिम्मेदारी
पुरानी इमारतों की देखरेख और उसकी हिफाजत करना सभी की जिम्मेदारी है। सरकार को कोस कर हम सब अपनी जिम्मेदारियों से भाग नहीं सकते। पुराने तालाबों पर हो रहे अतिक्रमण और गंदगी को डालने से लोगों को रोकना होगा। आमजन को इसके लिए आगे आना होगा।
- उबैदुर्रहमान, इतिहासकार।