बंदीरक्षकों का जेल अधीक्षक के आवास पर हंगामा
गाजीपुर : गैर जनपद के लिए स्थानांतरित कर दिए गए बंदीरक्षकों से जब आवास खाली करने को कहा गया तो उन्होंने बुधवार की रात जेल अधीक्षक के आवास पर जमकर बवाल किया। मुख्तार के खास माने जाने वाले बंदीरक्षक परमानंद व केदार राम रात करीब सवा नौ बजे अधीक्षक के आवास पर चढ़ गए और अपशब्दों का प्रयोग करते हुए जान से मारने की धमकी दी। पूरे कुनबे को खत्म कर देने की बात कह डाली। करीब घंटे भर दोनों वहां हंगामा करते रहे। उनकी इस हरकत से सहमे जेल अधीक्षक मोबाइल से कोतवाल को बुलाते रह गए लेकिन उन्होंने पहुंचना उचित नहीं समझा। सूचना के बाद भी सुबह तक पुलिस नहीं पहुंची। अगले दिन इस मामले में जेल अधीक्षक एमएल आनंद ने पुलिस अधीक्षक व आइजी जेल को लिखित सूचना दी।
मुख्तार के खास माने जाने वाले दोनों बंदीरक्षकों का स्थानांतरण फरवरी में ही गैर जनपद के लिए हो गया। दोनों को कार्यमुक्त भी कर दिया गया। अधीक्षक ने उन्हें आवास खाली करने को कहा लेकिन इससे नाराज बंदीरक्षकों ने उल्टे यह हरकत कर डाली। इस बाबत जेल अधीक्षक ने बताया कि रात में कई बार कोतवाल को घटना की जानकारी दी गई। बावजूद इसके वह मौके पर नहीं पहुंचे। आवास पर उनके अलावा केवल एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी मौजूद था। दोनों के बवाल के चलते आखिर में दरवाजा बंद करना पड़ा। एएसपी नगर रामस्वरूप सिंह ने बताया कि मामला उनके संज्ञान में अभी नहीं है। जांच कराकर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
चलता है मुख्तार का राज
जिला जेल में इस समय भले ही मुख्तार नहीं है फिर भी बंदीरक्षक अपने अधिकारियों का कम मुख्तार के आदेश का ज्यादा ख्याल रखते हैं। यह बात जेल अधीक्षक ने भी स्वीकार की है। उनका कहना है कि परमानंद व केदार राम ने बंदीरक्षक लालमणि मिश्र की पिटाई की थी। दोनों कुछ दिन निलंबित भी रहे लेकिन बाद में उन्हें बहाल कर दिया गया। जेल में मौजूदा समय में भी दो-चार बंदीरक्षकों को छोड़कर सभी मुख्तार के ही समर्थक हैं। यही वजह है कि यहां कोई अधीक्षक व जेलर नहीं आना चाहता है। जेल अधिकारियों को बंदीरक्षकों से ही खतरा है। इसके बाबत पूर्व में एसपी व एएसपी को लिखित सूचना दी जा चुकी है। फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई।
नहीं आ रहा कोई डिप्टी जेलर
अधिकारियों के आदेश को जेल प्रशासन रद्दी की टोकरी में डाल देता है। एक वर्ष पूर्व बंदीरक्षक राजदेव यादव ने पूर्व जेलर एसके अवस्थी से गालीगलौज व जान से मारने की धमकी दी थी। इस पर उसका स्थानांतरण गैर जनपद कर दिया गया। बाद में अधीक्षक एमएल आनंद से आख्या मांगी गई तो उन्होंने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि ऐसे बंदीरक्षकों का स्थानांतरण रोकना जनहित में नहीं है। इसके बावजूद भी जेल के आला अधिकारियों ने गाजीपुर में ही उसकी तैनाती कर दी। जेल अधीक्षक का कहना है कि ऐसी हालत में जेल की व्यवस्था कैसे चल सकती है। यही वजह है कि यहां आठ माह से कोई डिप्टी जेलर आना नहीं चाह रहा है।
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