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किसानों के मुआवजे के खेल में नप सकती हैं कई की गर्दन

जासं, गाजियाबाद : दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे के लिए अधिग्रहीत जमीन का मुआवजा किसानों द्वारा अधिक उ

By JagranEdited By: Published: Fri, 18 Aug 2017 08:50 PM (IST)Updated: Fri, 18 Aug 2017 08:50 PM (IST)
किसानों के मुआवजे के खेल में नप सकती हैं कई की गर्दन
किसानों के मुआवजे के खेल में नप सकती हैं कई की गर्दन

जासं, गाजियाबाद : दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे के लिए अधिग्रहीत जमीन का मुआवजा किसानों द्वारा अधिक उठाने के मामले में जिलाधिकारी ने संज्ञान ले लिया है। जिलाधिकारी मिनस्ती एस. ने मामले का संज्ञान लेकर जांच शुरू करा दी है। 2015 में मुआवजा बांटने के बाद भी कई किसान मुआवजे के लिए प्रशासन पर दबाव बना रहे हैं। कई किसानों ने कर्मचारियों की मिलीभगत से मुआवजा लेने के बाद जमीन का बैनामा कर दोबारा से मुआवजे के लिए दावा कर रहे हैं। मामले में लियाकत नाम के किसान ने मुआवजे की मांग को लेकर प्रशासन में शिकायत की है।

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मेरठ मंडल के मंडलायुक्त के पास शिकायत पहुंचने के बाद मंडलायुक्त ने फाइलों को तलब किया है। जांच के आदेश दिए हैं। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे के निर्माण के लिए 2011 में करीब चार हजार किसानों की जमीन शासन द्वारा अधिग्रहीत की गई थी। डासना से मेरठ के लिए रोड का निर्माण शुरू हो गया है। शासन ने भी वे को जल्द से जल्द बनाने के लिए स्थानीय प्रशासन को आदेश दिए हैं। विभागीय सूत्रों का कहना है कि 2015 में करीब 75 फीसद किसानों ने मुआवजा उठा लिया है। इसी वर्ष 442 करोड़ रुपये मुआवजे के आए जिसे किसानों को बांटा गया।

कहां हो रही गड़बड़ी: प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि जब कोई जमीन नोटिफाइड हो गई तो वह सरकार की संपत्ति मानी जाती है। बावजूद इसके कुछ किसानों ने मुआवजे के लिए दरख्वास्त लगाने के बाद ऊंचे दर पर जमीन का बैनामा कर दिया है। और मुआवजे की मांग भी कर रहे हैं। इस मामले में रजिस्ट्री कैसे हो गई यह भी ¨चतनीय है। इससे लगता है कि रजिस्ट्री दफ्तर के कुछ लोग इस मामले में लिप्त हैं।


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