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नई सरकार आने से खास वर्ग के अफसर आशंकित

फोटो जीपीजी 4 आशुतोष गुप्ता, गाजियाबाद प्रदेश में भाजपा की सरकार आते ही जिले के ऐसे अफसर आशंकित

By JagranEdited By: Published: Wed, 22 Mar 2017 10:07 PM (IST)Updated: Wed, 22 Mar 2017 10:07 PM (IST)
नई सरकार आने से खास वर्ग के अफसर आशंकित
नई सरकार आने से खास वर्ग के अफसर आशंकित

फोटो जीपीजी 4

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आशुतोष गुप्ता, गाजियाबाद

प्रदेश में भाजपा की सरकार आते ही जिले के ऐसे अफसर आशंकित हैं, जो पिछली सपा सरकार के कार्यकाल में मलाईदार पदों पर जमे रहे। सत्ता परिवर्तन के बाद खास किस्म के फैक्टर वाले पुलिसकर्मियों में खलबली मची हुई है और अब पहचान छुपाने पर आमादा हैं। इसके चलते कई पुलिसकर्मियों ने अपनी नेमप्लेट तक बदलवा लिया है। पुलिसकर्मियों के तबादले की खबर महकमे में जोर-शोर से चल रही है। इसको लेकर खास फैक्टर वाले पुलिसकर्मियों में खलबली का माहौल है।

मलाईदार व कमाईदार थानों के लिए गाजियाबाद प्रदेश में पहले से ही मशहूर रहा है। 2012 में सपा सरकार के पूर्ण बहुमत में आने के बाद पुलिसकर्मियों से लेकर अधिकारियों ने सबसे अधिक जोर पूरे प्रदेश में गाजियाबाद आने पर लगाया। पांच साल तक जिले के अधिकांश थानों व चौकियों में ऐसे पुलिसकर्मियों का राज रहा। इससे ईमानदार व जुझारू कर्मचारियों में रोष देखने को मिला। आदित्यनाथ योगी के मुख्यमंत्री बनने और पहले दिन से उनके तेवर देखकर अधिकारियों में बेचैनी का माहौल है। इनमें सबसे अधिक बेचैनी इन्हीं खास फैक्टर वाली लॉबी में है।

मजे लेने के दिन गए अब सुधर जाओ

योगी की सरकार आने के बाद थानों व कार्यालयों में विभिन्न तरह की चर्चाएं पुलिसकर्मियों के बीच सुनी जा सकती हैं। पुलिसकर्मी आपस में चर्चा करते हैं कि पांच साल जमकर मौज कर ली अब सुधर जाओ और काम पर लग जाओ। प्रदेश का नए निजाम के पास न तो पाने के लिए कुछ है और न खोने के लिए, यदि नौकरी सही ढंग से करनी है तो लापरवाही छोड़कर काम में मन लगाओ।

ठेकेदारी प्रथा पर लगेगी रोक

पिछले करीब डेढ़ दशक से गाजियाबाद के थानों व चौकियों में ठेकेदारी प्रथा ने कब्जा जमाया हुआ था। इस पर लगाम कसनी शुरू कर दी गई है। दरअसल सपा सरकार के आने के बाद थानों व चौकियों में ठेकेदार का अघोषित पद बनाया गया था। ठेकेदार सिपाही रैंक के पुलिसकर्मी को बनाया जाता था, ठेकेदार ही परोक्ष रूप से थाने का संचालन करता था। ठेकेदार द्वारा क्षेत्र में अवैध धंधे, पूरे क्षेत्र की उगाही, थानों में आने वाले फरियादियों से डील व लेनदेन के सभी काम संभालता था और ठेकेदार द्वारा ही थाने के खर्च से लेकर अधिकारियों को महीना बांटा जाता था। ठेकेदार उसी पुलिसकर्मी को बनाया जाता था जिसकी या तो सत्ता में अच्छी पकड़ है या वह जिले के कप्तान का खास है।

पुलिस का राजनीतीकरण हो चुका है। सपा और बसपा सरकार जाति विशेष के पुलिसकर्मियों व अधिकारियों को तरजीह देती हैं। इसके चलते जाति विशेष के पुलिसकर्मी अच्छे जनपदों में तैनात होते हैं और अवैध धंधों में लिप्त होते हैं। इससे भ्रष्टाचार और अपराध दोनों बढ़ते हैं। सपा सरकार में तो ठेकेदार इतने हावी रहते हैं कि थानेदार से लेकर एसएसपी भी उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाते। अब सरकार बदलने के बाद जाति विशेष के पुलिसकर्मी अपना उपनाम छुपाने की कोशिश कर रहे हैं।

-किशन ¨सह तालान, सेवानिवृत डिप्टी एसपी


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