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अखिलेश की साइकिल होने के बावजूद घोषित प्रत्याशियों में बैचेनी बरकरार

विवेक त्यागी, गाजियाबाद साइकिल ¨सबल और राष्ट्रीय अध्यक्ष पद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को मिलने से

By Edited By: Published: Mon, 16 Jan 2017 09:24 PM (IST)Updated: Mon, 16 Jan 2017 09:24 PM (IST)
अखिलेश की साइकिल होने के बावजूद घोषित प्रत्याशियों में बैचेनी बरकरार
अखिलेश की साइकिल होने के बावजूद घोषित प्रत्याशियों में बैचेनी बरकरार

विवेक त्यागी, गाजियाबाद

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साइकिल ¨सबल और राष्ट्रीय अध्यक्ष पद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को मिलने से उनके समर्थकों में भले ही खुशी की लहर हो, लेकिन घोषित प्रत्याशियों में बैचेनी पहले से ओर ज्यादा बढ़ गई है। शिवपाल यादव और अखिलेश यादव दोनों की सूची में शामिल होने के चलते अब तक पूरे दमखम से दावेदारी ठोक रहे प्रत्याशी भी सोमवार को हवा का रुख भांपते हुए बैकफुट पर दिखे।

लंबी रार के बाद केन्द्रीय चुनाव आयोग ने सोमवार देर शाम समाजवादी पार्टी का ¨सबल, साइकिल और राष्ट्रीय अध्यक्ष पद अखिलेश यादव को देने का फैसला सुनाया। इससे मुख्यमंत्री समर्थकों ने खुशी की लहर दौड़ पड़ी। खुश होकर समर्थकों ने कहीं लड्डू बांटे तो कहीं ढोल बजवाया और जमकर डांस करने के साथ पटाखे चलाए। मगर मुख्यमंत्री के पक्ष में आए फैसले की वो खुशी सपा के घोषित उम्मीदवारों में नहीं दिखी, जो दिखनी चाहिए थी। इसके पीछे कारण है सपा का गठबंधन के तहत चुनावी दंगल में उतरने की चर्चा। गठबंधन की चर्चा घोषित प्रत्याशियों के चेहरे पूरी तरह खिलने नहीं दे रही है। दरअसल, गाजियाबाद जनपद की चार विधानसभा सीट गाजियाबाद से सागर शर्मा, साहिबाबाद से वीरेन्द्र यादव, लोनी से राशिद मलिक और मुरादनगर से दिशांत त्यागी का नाम मुख्यमंत्री द्वारा पिछली लिस्ट में घोषित किया गया था। जबकि शिवपाल यादव ने अपनी लिस्ट में लोनी से राशिद मलिक, मोदीनगर से रामआसरे शर्मा व मुरादनगर से दिशांत त्यागी को प्रत्याशी घोषित किया था। मगर इसके बाद ही साइकिल ¨सबल और राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को लेकर अखिलेश और मुलायम के बीच दावेदारी शुरू हो गई। इसी बीच सपा के कांग्रेस और रालोद के साथ मिलकर चुनावी समर में उतरने की चर्चाओं ने भी बल पकड़ा। कहा जा रहा है कि गठबंधन को लेकर सब कुछ फाइनल हो चुका है, बस औपचारिक घोषणा होनी बाकी है। पारिवारिक दंगल में अखिलेश यादव के बाजी मारने के बाद शिवपाल यादव द्वारा घोषित की गई सूची का कोई औचित्य नहीं रह जाता। मगर मुख्यमंत्री द्वारा घोषित प्रत्याशी को भी इस बाद खूब इल्म है कि गठबंधन से जनपद की सभी सीटों पर समीकरण बदल जाएंगे और नई सूची में टिकट कट सकता है।

गाजियाबाद की पांच विधानसभा सीटों में कौन की सीट सपा, कांग्रेस और रालोद के पक्ष में आती है, इस संशय से स्थिति स्पष्ट तो प्रत्याशियों की औपचारिक घोषणा से बाद ही होगी। मगर चर्चा है कि गाजियाबाद जनपद की पांच विधानसभा सीटों में ज्यादातर कांग्रेस और रालोद के पक्ष में जा सकती है।


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