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पुलिस सत्यापन में खेल, राहुल गांधी को बनाया घरेलू सहायक

जासं, साहिबाबाद (गाजियाबाद): इंदिरापुरम की एक सोसायटी में घरेलू सहायकों के पुलिस सत्यापन फार्म पर इं

By Edited By: Published: Thu, 26 May 2016 01:01 AM (IST)Updated: Thu, 26 May 2016 01:01 AM (IST)
पुलिस सत्यापन में खेल, राहुल गांधी को बनाया घरेलू सहायक

जासं, साहिबाबाद (गाजियाबाद): इंदिरापुरम की एक सोसायटी में घरेलू सहायकों के पुलिस सत्यापन फार्म पर इंदिरापुरम थाने की मुहर के साथ राहुल गांधी के नाम व फोटो मिलने से सनसनी फैल गई है। सोसायटी के पदाधिकारियों ने इस बारे में पुलिस अधिकारियों को लिखित शिकायत भेजी है।

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बुधवार को इंदिरापुरम वैभव खंड की आवासीय सोसायटी एचआरसी प्रोफेशनल में घरेलू सहायकों को आइकार्ड जारी करने की प्रक्रिया में एओए स्टाफ को एक ऐसा फॉर्म मिला जिस पर कांग्रेस नेता व सांसद राहुल गांधी का नाम, पता और फोटो लगी थी। यह फॉर्म इंदिरापुरम थाना पुलिस की ओर से मुहर लगाकर सत्यापित भी किया हुआ था। सोसायटी स्टाफ ने इसकी सूचना तुरंत एओए पदाधिकारियों को दी तो उन्होंने मामले की शिकायत एसएसपी और एसपी सिटी समेत सीओ इंदिरापुरम से भी की है। एओए स्टाफ ने बताया कि सोसायटी में काम करने के इच्छुक कर्मचारियों से पुलिस सत्यापन फार्म जमा कराने को कहा जाता है। सत्यापित फार्म सोसायटी गेट पर जमा करा दिए जाते हैं। इन फार्मो की एओए स्टाफ से जांच होने के बाद ही कर्मचारियों को काम के लिए बुलाया जाता है या अनुमति पत्र जारी होता है। पहली नजर में यह एक फर्जीवाड़ा प्रतीत हुआ है, इसलिए एओए पदाधिकारियों को सूचित कर दिया गया।

फार्म में यह है दर्ज

राहुल गांधी और उनके पिता का नाम, तुगलक लेन का पता दर्ज है। फार्म पर एचआरसी प्रोफेशनल के प्राइड - ए 1002 का पता दर्ज है और मकान मालिक का नाम अरुण शर्मा लिखा गया है। राहुल गांधी का फोटो भी लगा है।

सत्यापन कराने वाले दलाल हैं सक्रिय

इंदिरापुरम, वैशाली, कौशांबी समेत सभी क्षेत्रों में पुलिस सत्यापन के नाम पर खेल हो रहा है। एओए की ओर से घरेलू सहायकों और ड्राइवरों के पता सत्यापन की अनिवार्यता रखी गई है। काम करने के इच्छुक लोग खुद फार्म भरकर स्थानीय पुलिस चौकी के चक्कर लगाते हैं।

बताया जाता है कि चौकी और थाने से पता सत्यापन कराने वाले दलाल सक्रिय हैं जो पांच सौ रुपये तक लेकर सत्यापन प्रक्रिया पूरी करा देते हैं। पुलिस के पास भी चूंकि सत्यापन का कोई रजिस्टर नहीं है इसलिए असली और नकली सत्यापन का पता ही नहीं चल पाता। एटीएस सोसायटी में अर्शी मलिक हत्याकांड के दौरान भी पुलिस सत्यापन में लापरवाही उजागर हुई थी। तब पुलिस अधिकारियों ने सत्यापन में सख्ती का दावा भी किया था लेकिन इस फार्म के मिलने से स्पष्ट हो रहा है कि दलालों का खेल बंद होने के बजाय तेज हो गया है।

पुलिस थाने में ऐसा सत्यापन नामुमकिन : एसएचओ

एचआरसी निवासी अरुण शर्मा का कहना है कि उनके घर पर रसोइया और घरेलू सहायिका पहले से काम कर रही है। उन्होंने कोई ऐसा आवेदन किया ही नहीं है। दूसरी ओर एसएचओ इंदिरापुरम गोरखनाथ यादव का कहना है कि पुलिस थाने से ऐसा सत्यापन होना मुमकिन नहीं है। यह कोई फर्जीवाड़ा ही हो सकता है। मामले की जांच कराई जाएगी।


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