650 बच्चों को सिखा रहे योग और ध्यान
जागरण संवाददाता, इंदिरापुरम : 14 साल पहले वे कारपोरेट वर्ल्ड के उन चंद लोगों में शुमार करते थे, जिन
जागरण संवाददाता, इंदिरापुरम : 14 साल पहले वे कारपोरेट वर्ल्ड के उन चंद लोगों में शुमार करते थे, जिनका जीवन सुख सुविधाओं में गुजर रहा था। लेकिन एक झटके से पति-पत्नी ने उस दुनिया को अलविदा कह दिया। अब साढ़े छह सौ बच्चों को मन की शाति के गुर सिखा रहे हैं। लगभग 66 बच्चों की मुफ्त शिक्षा के लिए स्कूल खोल रखा है। स्कूलों में बच्चों को पुस्तकें, कॉपी, पेंसिल, खिलौने और खाने-पीने का सामान बांटते हैं। बच्चों को योग और ध्यान सिखाने वाले मुनेश मानते हैं कि उनकी कोशिशें रंग लाने लगी हैं।
वैशाली सेक्टर चार में परम प्राण योग एजुकेशन सेंटर के स्कूल तक जाना है तो मलिन बस्ती में रहने वाले किसी शख्स से पूछिए। वह आपको स्कूल का पता बताते हुए जरूर पूछेगा कि आपको वहा तक जाने में मदद करे। इसकी वजह इस स्कूल का बस्ती के परिवारों से गहरा जुड़ाव है। स्कूल में बेहद गरीब परिवारों के बच्चे पढ़ रहे हैं। यहा उनसे न कोई फीस ली जाती है और न दूसरे आर्थिक दबाव हैं। उल्टा स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को ड्रेस से लेकर पुस्तकें, कॉपी, पेंसिल तक मुफ्त मिलती हैं। इतना ही नहीं, बच्चों को अक्सर मिठाई, फल और केक की दावत भी मिलती है। गरीब परिवारों के लिए सपनों सरीखा यह स्कूल इंदिरापुरम के रेल विहार में रहने वाले मुनेश कुमार सिन्हा ने खोल रखा है। स्कूल का सारा प्रबंधन और खर्च उनकी संस्था परम प्राण योग वहन करती है। मैनेजमेंट की उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद मल्टीनेशनल कंपनियों में शानदार नौकरी करने वाले मुनेश अब बच्चों को सुशिक्षित बनाने में जुटे हैं। मुनेश के जीवन में यह बदलाव आया योग- ध्यान के अभ्यास और अध्यात्म से। वह कहते हैं कि अध्यात्म का जीवन में असर बहुत शुरू से था लेकिन गरीब परिवारों की मदद करने की सीख अपने इंजीनियर पिता से मिली। बचपन में उनके साथ इस तरह के बहुत सारे कार्य किए। जब ध्यान और योग सिखाने लगा तो मलिन बस्तियों के किशोरों में मौजूद असंतोष और आक्रोश पर दृष्टि गई। सोचा क्यों न इन्हें इससे मुक्त किया जाए। स्कूल की स्थापना की और अब यहा बच्चों को इतिहास, गणित, विज्ञान, भाषा, भूगोल समेत अन्य विषयों के अलावा योग और ध्यान की शिक्षा भी दी जा रही है। इससे बच्चों ने अपने मन को शांत रखना सीख लिया है। इनमें साकारात्मक बदलाव आ रहा है। अपनी उम्र के दूसरे बच्चों के मुकाबले इन्होंने मन के आवेगों पर काबू पाना सीख लिया है। इस स्कूल के अलावा नीति खंड तीन के तपोवन स्कूल में 350 और लाल बहादुर शास्त्री आश्रम वसुंधरा के बच्चों को भी योग और ध्यान की शिक्षा दे रहा हूं। अब इन साढ़े छह सौ बच्चों की दुनिया में रम गया हूं। इन्हें पढ़ने के लिए जरूरी पुस्तक, कॉपी आदि बांट कर मुझे गहरा सुकून मिलता है। इससे भी ज्यादा आनंद तब मिलता है जब किसी बच्चे के जन्मदिन पर स्कूल में केक लेकर जाता हूं और सब मिलकर जन्मदिन मनाते हैं। मेरा मकसद शिक्षा के साथ ही बेहतर इंसान बनने में मदद करना है।