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आपदा प्रबंधन में माहिर एनडीआरएफ की श्वान ब्रिगेड

By Edited By: Published: Fri, 01 Aug 2014 07:08 PM (IST)Updated: Fri, 01 Aug 2014 07:08 PM (IST)

आशुतोष गुप्ता, गाजियाबाद : किसी भी प्राकृतिक व गैर प्राकृतिक आपदा में कुत्तों की विशेष भूमिका रहेगी। इसके लिए श्वान ब्रिगेड का गठन हो गया है। मलबे में दबे लोगों के बारे में पता लगाने और किसी खतरे की आशंका को पल भर में भांग लेंगे कुत्ते। राष्ट्रीय आपदा राहत दल (एनडीआरएफ) की आठवीं बटालियन में 12 कुत्तों की टीम तैयार की गई है। इन कुत्तों को श्वान सेना नाम दिया गया है। वैसे तो बिग्रेड में शामिल कुत्तों को सभी प्रकार का प्रशिक्षण दिया गया है लेकिन सर्च एंड रेस्क्यू की खास ट्रेनिंग दी गई है।

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इनमें माहिर है बिग्रेड

- आपदा के दौरान सर्च एंड रेस्क्यू

- मलबे के नीचे दबे लोगों को खोजने में

- मलबे के नीचे दबा व्यक्ति जिंदा है या मृत

- मलबा गिर सकता है या नहीं।

- तैरने में।

- पहाड़ों पर ट्रेकिंग

- सलामी

- विस्फोटक सामग्री को पहचानने में।

डॉग व हैंडलर 24 घंटे साथ-साथ

बटालियन में प्रत्येक कुत्ते के साथ एक डॉग हैंडलर नियुक्त किया गया है। जो कुत्ता जिस हैंडलर को दिया गया है वह 24 घंटे उसके साथ ही रहेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि कुत्ता काफी संवेदनशील जानवर है। वह अपने साथ रहने वाले हैंडलर के साथ घुल मिल जाता है और दोनों एक दूसरे को बेहतर समझते हैं और एक दूसरे के प्रति विश्वास कायम हो जाता है। इसके चलते कुत्ते जब तक जीवित रहेगा। वही हैंडलर उसके साथ तब तक रहेगा।

टीम के साथ कई जगह तैनात किए गए हैं कुत्ते

देश में कई जगह आपदा व बाढ़ की आशंका के मद्देनजर एनडीआरएफ की टीम रवाना की गई हैं। प्रत्येक टीम के साथ एक-एक कुत्ता भी भेजा गया है। वर्तमान में आठ कुत्ते टीमों के साथ गए हैं जबकि चार कुत्ते बटालियन में रिजर्व में रखे गए हैं। कुत्तों को दिल्ली, पौड़ी गढ़वाल, केदारनाथ, कर्ण प्रयाग, थराली, लखीमपुर खीरी व अल्मोड़ा भेजा गया है।

प्रतिदिन परेड ग्राउंड में होती है कसरत

कुत्तों को चुस्त दुरुस्त रखने के लिए उनके हैंडलरों द्वारा प्रतिदिन एनडीआरएफ के परेड ग्राउंड में कसरत कराई जाती है। इसमें तरह तरह के व्यायाम व दौड़ शामिल हैं। इसके साथ ही समय समय पर इन्हें मॉक ड्रिल के माध्यम से ट्रेनिंग भी दी जाती है।

श्वान सेना को मिल रही यह सुविधाएं

-आने जाने के लिए राजधानी व शताब्दी जैसी ट्रेनों में फ‌र्स्ट क्लास एसी

-गर्मी के मौसम में बटालियन में पूर्णतया वातानुकूलित कक्ष

-सर्दियों में सभी कुत्तों के कमरों में हीटर व ब्लोअर की व्यवस्था

-प्रत्येक कुत्ते के साथ एक रखरखाव के लिए एक व्यक्ति

-प्रतिदिन के मेन्यू के हिसाब से नाश्ता, लंच व डिनर

-सप्ताह में तीन दिन स्पेशल मेन्यू जिसमें मांस शामिल है

-सप्ताह में दो बार वेटनरी डॉक्टरों द्वारा पूर्ण मेडिकल जांच

एक नजर

- मासिक खर्च : 1.20 लाख रुपये

- प्रत्येक कुत्ते के खानपान पर : 9000 से 10,000 रुपये

संख्या : ब्रीड

पांच : जर्मन शैफर्ड

सात : लैबरा डॉग

कुत्तों को दी गई विशेष ट्रेनिंग

सर्च एंड रेस्क्यू व अन्य विशेषता के लिए बटालियन में शामिल किए गए कुत्तों को हरियाणा रामगढ़ के भानू स्थित भारत तिब्बत बार्डर पुलिस (आइटीबीपी) के नेशनल ट्रेनिंग सेंटर फॉर डॉग ट्रेनिंग स्कूल से खास प्रशिक्षण दिया गया है। यहां उन्हें अफसरों की सलामी के साथ रहन सहन व अन्य प्रशिक्षण भी दिए गए हैं।

'एनडीआरएफ की श्वान बिग्रेड किसी भी प्रकार की आपदा के दौरान राहत कार्यो कर सकते हैं। इन्हें इसी प्रकार की ट्रेनिंग दी गई है। खास तौर पर डॉग्स को सर्च एंड रेस्क्यू की ट्रेनिंग दी गई है। बटालियन में इनका विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है।'

- प्रदीप कुमार श्रीवास्तव, कमांडेंट, एनडीआरएफ, आठवीं बटालियन


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