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दहशत में 125 दलित परिवार

By Edited By: Published: Fri, 28 Feb 2014 07:38 PM (IST)Updated: Fri, 28 Feb 2014 07:39 PM (IST)
दहशत में 125 दलित परिवार

जागरण संवाददाता, धौलाना :यहां रह रहे 125 दलित परिवार दहशत में हैं। इन्होंने काम-काज पर जाना छोड़ दिया है। डर है कि कहीं हमारा घर भी कोई दबंग न जला दे। परिजनों से मारपीट न कर दे। इसी खौफ में हैं धौलाना, ककराना गांव में रह रहे दलित परिवार। बृहस्पतिवार को दलित समुदाय की ओर से मोहल्ले से बरात निकालने पर दबंगों ने बरातियों से मारपीट की। उनके घेर में भी आग लगा दी थी। गांव में एहतियातन पुलिस बल तैनात किया गया है।

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ग्रामीणों ने पुलिस पर दबंगों के दबाव में कार्रवाई न करने का आरोप लगाया है। इस पर शुक्रवार को बसपा के कई नेता पीड़ितों के साथ थाने पहुंचे और आरोपियों पर कार्रवाई का दबाव बनाते हुए गंभीर धाराओं में रिपोर्ट दर्ज करने की मांग की।

बता दें कि ककराना गांव निवासी दलित शेरसिंह जाटव की पुत्री की शादी में बृहस्पतिवार को नोएडा से बरात आई थी। मोहल्ले से बरात निकलने के विरोध में क्षेत्र के दबंगों ने बरातियों से मारपीट की और दलित के घेर में आग लगा दी। इस हादसे में शेर सिंह व दो भैंस झुलस गई थी और लाखों का माल खाक हो गया था। इस मामले में पीड़ित ने आरोपी अमित ठाकुर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ आगजनी की धारा में रिपोर्ट दर्ज कर औपचारिकता पूरी की। आरोपी अभी फरार हैं। अब तक पुलिस उसकी गिरफ्तारी नहीं कर सकी है।

बसपा नेताओं ने थाना घेरा :

घटना के विरोध में शुक्रवार को बसपा के लोकसभा प्रभारी मुकुल उपाध्याय के नेतृत्व में बड़ी संख्या में बसपा नेताओं ने परिजनों मुलाकात की। इसके बाद बसपा नेता थाने पहुंचे और आरोपियों के खिलाफ नए सिरे से तहरीर दी व कड़ी कार्रवाई की मांग की। बसपा नेताओं ने पुलिस को चेतावनी दी है कि यदि दो दिन के भीतर गंभीर धाराओं में रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई और आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई तो आंदोलन किया जाएगा। इस दौरान जिलाध्यक्ष पी निमेश, इश्ते प्रधान, आरडी शर्मा, अजय भारद्वाज समेत अन्य बसपाई मैजूद थे।

दहशत में 125 परिवार :

गांव में जाति विशेष के दो हजार परिवार हैं जबकि दलितों के कुल 125 घर हैं। इसको लेकर दलित परिवारों में खौफ है। लोग घरों से आम दिनों की अपेक्षा कम निकल रहे और परिवार के लोग काम पर भी नहीं जा रहे हैं। उनके चेहरों पर खौफ देखा जा सकता है।

शादी की खुशी नदारद

दलितों की बस्ती में ऐसा माहौल ही नहीं है जैसा शादी के बाद देखने को मिलता है। बस्ती में सभी लोग गुमसुम हैं।


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