Move to Jagran APP

नोटबंदी के तीस दिन, जेबें ठंडी-बैंक गरम

जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: 30 दिन गुजर गए नोट बंदी को। आठ नवंबर से आठ दिसंबर आ गया। अंतर सिर्फ इतन

By Edited By: Published: Thu, 08 Dec 2016 11:49 PM (IST)Updated: Thu, 08 Dec 2016 11:49 PM (IST)
नोटबंदी के तीस दिन, जेबें ठंडी-बैंक गरम

जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: 30 दिन गुजर गए नोट बंदी को। आठ नवंबर से आठ दिसंबर आ गया। अंतर सिर्फ इतना है कि बाजार में नौ नवंबर को जो इक्का-दुक्का दुकानदार 500-1000 के नोट स्वीकार रहे थे, वो भी अब रुपये नहीं ले रहे। नौ नवंबर को जेब में 500 के नोट होते हुए भी लोगों की जेब खाली थी। जेब आज भी खाली है। बस 500-1000 के नोट जेब से निकलकर बैंक में पहुंच गए हैं। नौ नवंबर को बैंकों के दरवाजे बंद होने से लोग परेशान थे। आज बैंक खुली हैं, लेकिन कैश न होने से शहरवासी महीने भर बाद भी उधार मांगने को मजबूर। इन 30 दिन में कुछ बदला है तो सिर्फ यह। लोगों का धैर्य जवाब दे रहा है। बैंकों पर हंगामे हो रहे हैं। बाजार बेरौनक हैं। न जाने कितनी शादियों में नोटबंदी विवाद करा चुकी हैं।

loksabha election banner

--------

न चले एटीएम, बैंकों में हंगामा, जनता परेशान

स्टेट बैंक का एटीएम बंद है। जलेसर रोड चौराहे पर यूनियन बैंक के एटीएम पर भी सन्नाटा है। यूनियन बैंक के बाहर लाइन नहीं है, तो सिर्फ इसलिए। बैंक वाले 500 रुपये देने में भी हाथ खड़े कर रहे हैं। कुछ लोग चेकबुक के लिए लाइन में लगे हैं। स्टेट बैंक में भी भीड़ नहीं है। बैंक से बाहर आ रहे शिक्षक नरायन शर्मा परेशान हैं। पूछने पर बिफर पड़ते हैं, क्या करें? 20 दिन हो गए हैं। बैंक में 25 हजार रुपये खाते में जमा किए थे। जेब में एक रुपया नहीं। बैंक वाले कह रहे हैं रुपये नहीं हैं। यूनियन बैंक में मुन्नीदेवी दस हजार का चेक लाई थीं। कैशियर ने मना किया, तो कहने लगीं कि दो हजार ही दे दो। घर में राशन खत्म होने वाला है। अब बनिया भी उधार नहीं दे रहा, लेकिन रुपये नहीं मिले। मक्खनपुर में तो भीड़ ने हंगामा कर दिया। जौंधरी में शाखा प्रबंधक को अंदर नहीं घुसने दिया तो नारखी स्टेट बैंक में रुपये खत्म होने पर भीड़ भड़क गई। शहर की बैंकों पर भी यही हाल रहा। 30 दिन बाद भी बैंक जरूरतमंदों को जरूरत पूरी करने में असमर्थ दिख रही हैं।

----

ठंडा पड़ा कारोबार, 20 फीसद रह गई बिक्री

नोटबंदी में कारोबार सिमट गया है। सहालग में भी बाजार बेरौनक रहा। कपड़ा बाजार से लेकर हर बाजार में सन्नाटा था। शादी वाले परिवारों के इक्का-दुक्का ग्राहक दुकानों पर दिख भी रहे थे, तो खरीदारी में थी नए नोटों की बंदिश। ग्राहकों की बाट देख रहे मोहन सोनी कहते हैं कि उम्मीद थी 15-20 दिन में कारोबार ढर्रे पर आएगा, लेकिन बैंकों ने खेल बिगाड़ दिया। हमारी खुद की जेब तंग है तो ग्राहकों की उम्मीद क्या करें? जरूरतमंद आते हैं, तो वो भी नोट न होने पर थोड़ा-बहुत खरीदते हैं। हाल यह है कि लोगों की बैंक में तो रुपया भरा पड़ा है, लेकिन बाजार में तो जेब काम आती है। स्वर्णकार नए ऑर्डर न मिलने से परेशान हैं। सुनील अग्रवाल कहते हैं कि नोटबंदी से यह सहालग खासा प्रभावित हुआ है।

---

नोटबंदी से ठिठुरे गर्म कपड़े, किराया भी नहीं निकला

सर्दियों की ठिठुरन में गर्म कपड़ों का बाजार गर्म रहता था। इस बार नोटबंदी से गर्म कपड़े खुद ठिठुर रहे हैं। रामलीला मैदान में कई वर्ष से सज रहे तिब्बती बाजार में 30 फीसद भी ग्राहक नहीं। इक्का-दुक्का ग्राहक आते भी हैं, तो पसंद से ज्यादा जेब देख कपड़ों की खरीदारी कर रहे हैं। बाजार सजाने वाले हिमाचल प्रदेश के मान ¨सह कहते हैं कि तीन साल से फीरोजाबाद में कारोबार करने आते हैं। इस बार 50 फीसद कारोबार नहीं बचा। जगह का किराया छोड़िए, खाने-पीने की समस्या खड़ी हो गई है। बाजार में भी कुछ यही हाल है। सदर बाजार, आगरा गेट और हनुमान रोड पर दुकानदार परेशान हैं। सर्दी के बाद भी कारोबार ठंडा पड़ा है।

-----

दर्जनों कारखाने बंद, मजदूर घूम रहे बेरोजगार

30 दिन बाद भी कारखानों में काम रफ्तार पर नहीं दौड़ पाया है। नोटबंदी के बाद नौ नवंबर को फिर भी कारखाने चल रहे थे। अब सिर्फ चूड़ी के 40-42 कारखाने चल रहे हैं, शेष में काम बंद है। कुछ कारखाने बैंक से रुपये मिलने पर एक-दो दिन चल जाते हैं, तो फिर बंद हो जाते हैं। हजारों मजदूर काम बंद होने पर मजबूरी में घर लौट चुक हैं। कुछ गांव में खेतों पर काम कर रहे हैं। कारखानों के कर्मचारी बैंकों के चक्कर काट रहे हैं। चूड़ी एवं कांच कारोबार पूरी तरह प्रभावित है। उद्यमी कहते हैं 30 दिन बाद भी बैंक से 50 हजार रुपये नहीं निकल रहे। अगर इतने भी रुपये निकलते रहें, तो कारखानों में उत्पादन का पहिया घूम जाए। यही हाल राजमिस्त्री का भी है। मंडियों में काम नहीं मिल रहा है। पेट भरने के लिए 300 पर जाने वाले मजदूर 250 रुपये पर जाने के लिए तैयार बैठे हैं, लेकिन नोट बंदी से भवन निर्माण ठप पड़ा है।

--------

शादियों पर आफत, कैट¨रग कारोबारी बने कर्जदार

शादी वाले परिवारों को ढाई लाख का नियम कागजी बन कर रह गया है। शादी के कार्ड थामे लोग बैंको के चक्कर काट रहे हैं। ढाई लाख छोड़िए, ढाई हजार भी नहीं मिल रहे। परेशान टेंट व्यवसायी एवं कैट¨रग करने वाले भी हैं। कई दिसंबर की शादियों को लेकर नि¨श्चत थे, तब तक हालात सुधर जाएंगे, लेकिन अब वो खुद परेशान हैं। किशन कैट¨रग के किशन वाष्णऱ्ेयकहते हैं कि नोटबंदी के बाद में हमने नौ दिसंबर की शादी के लिए चेक ले लिया था। सोचा था तब तक तो बैंक से रुपये निकाल लेंगे, लेकिन बैक में रुपये नहीं हैं। आज दुकानदारों से जैसे-तैसे उधारी में सामान लिया है। दुकानदार भी परेशान हैं। पिछला भुगतान नहीं कर पाए। पार्टियों ने चेक दिया था, लेकिन सब बैंक में है। दुकानदारों को चेक देते हैं, तो वो कहते हैं भाई हम कहां कैश कराएंगे। भले दो दिन बाद देना, लेकिन कैश देना। यही हाल अन्य टेंट व्यवसाइयों का है। दुकानदार कहते हैं नौ नवंबर को फिर भी मान मनौव्वल कर 500 का नोट देकर काम चला लेते थे, लेकिन आज तो वो नोट चलता नहीं, नए नोट बैंक दे नहीं रही।

-----

रिजर्व बैंक से सिर्फ दो बार आया कैश

नोटबंदी के बाद बैंकों में कैश का टोटा रहा। रिजर्व बैंक से नोटों की पहली खेप नौ नवंबर आई थी। करीब सौ करोड़ रुपये भेजे गए थे। दस दिन तक हाथ रोककर बैंकों से कैश दिया गया। इसके बाद तीस करोड़ की दूसरी खेप एक दिसंबर की शाम को आई, जो कि दो दिन तक ही चल सकी। फिलहाल बैंकों के पास पैसा नहीं है।

----


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.