अगस्त से प्रयोग नहीं हो रहे थे इंजेक्शन
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद : आयरन (आइबी) इंजेक्शन के प्रयोग की स्थिति को देखें तो जिला महिला अस्पताल
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद : आयरन (आइबी) इंजेक्शन के प्रयोग की स्थिति को देखें तो जिला महिला अस्पताल खुद सवालों के घेरे में खड़ा है। जिस महिला अस्पताल में अगस्त माह तक प्रति माह 150 तक इंजेक्शन लग रहे थे। उस महिला अस्पताल में 20 सितंबर के बाद में किसी भी मरीज को इस इंजेक्शन की जरूरत ही नहीं पड़ी। यह बात चौंकाने वाली है। इस तरफ स्वास्थ्य महकमा भी ध्यान नहीं दे रहा है। सीएमओ दफ्तर ने सिर्फ दिसंबर में एक्सपायर होने वाले इंजेक्शन को शिकोहाबाद एवं टूंडला भिजवाए जाने के निर्देश देकर जिम्मेदारी पूर्ण कर ली है।
आयरन (आइबी) के महंगे इंजेक्शन से मरीजों को ज्यादा फायदा पहुंचता है। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में रक्त अल्पता को यह इंजेक्शन तेजी से दूर करता है। महिला अस्पताल में एक अप्रैल को 1700 इंजेक्शन थे। आखिरी बार स्टोर से एक अगस्त को सौ इंजेक्शन निकाले गए हैं। अगर अप्रैल से अगस्त तक देखें तो पांच माह में महिला अस्पताल में 800 इंजेक्शन का लगना बताता है महिलाओं को इस इंजेक्शन से काफी फायदा पहुंचा। प्रतिमाह 150 महिलाओं को इंजेक्शन लग रहे थे, लेकिन अगस्त माह में इन इंजेक्शन के लगने पर सीएमएस के मौखिक आदेश ने रोक लगा दी। सीएमएस ने इसकी वजह बताई थी कि इंजेक्शन रिएक्शन करते है। महिला अस्पताल में रोक लगने के बाद इन इंजेक्शन की सुध नहीं ली। वहीं इन इंजेक्शन को कहीं अन्यत्र भेजे नहीं गए। जब इंजेक्शन एक्सपायर होने का मामला दैनिक जागरण एवं सीएमओ दफ्तर पहुंच गया। तब इनको टूंडला और शिकोहाबाद भेजने के निर्देश दिए गए। इस मामले की जांच कराए जाने की जरूरत है।
व्यवस्थाओं पर जोर, मरीजों की सुध नहीं: स्वास्थ्य अधिकारी अस्पतालों का निरीक्षण कर रहे हैं। सफाई एवं गंदगी देख रहे हैं, लेकिन मरीजों को उपचार की तरफ ध्यान नहीं है। मातृत्व सप्ताह चल रहा है। हाई रिस्क प्रेग्नेंसी की महिलाएं खोजी जा रही हैं। इन्हें आयरन से ही हाई रिस्क से बचाया जा सकता है, लेकिन जब लखनऊ से भेजी गई दवा को अस्पताल प्रशासन नकार रहा हो तो सवाल यह भी खड़ा है हाई रिस्क प्रेग्नेंसी महिला को खोज कर उनका उपचार कैसे किया जाएगा।