चुनने दो उन्हें उड़ान के लिए 'आसमां'
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद : हाईस्कूल के एग्जाम हो गए हैं, अब घर-घर में हो रहा है मंथन। कई घरों में बहस छिड़ी हुई है सब्जैक्ट्स के मुद्दे पर। पापा कह रहे हैं साइंस से पढ़ाई करो तो कुछ बच्चों का मन है कॉमर्स के साथ में अपना करियर चुनने का। छात्रों को उनकी इच्छा के विपरीत सब्जैक्ट से पढ़ने पर मजबूर करने पर इनकी पढ़ाई पर प्रभाव पड़ता है। ऐसे में मां-बाप की इच्छा का बोझ उनके करियर को बर्बाद कर सकता है।
उदाहरण देखने ज्यादा दूर नहीं जाना। दो वर्ष पूर्व की बात है मोहित व ज्योति (दोनों बदले हुए नाम) को उनके मां-बाप ने साइंस में दाखिला दिला दिया, लेकिन पढ़ाई में कमजोर बच्चे कक्षा 11 में ही पिछड़ते हुए नजर आए। ऐसे में इनके कोचिंग सेंटर के शिक्षक ने जब मां-बाप को बुलाकर समझाया तथा इन्हें कॉमर्स दिलाने की बात कही तो परिजनों ने कॉमर्स दिलाई। हालांकि टॉपर्स तो यह पहले भी नहीं थे, ऐसे में इनको जब कॉमर्स मिली तो यह पास हो गए। ऐसे में जरूरी है अभिभावक अपने पाल्यों को खुद उनकी राह चुनने दें।
परिजनों की इच्छा भी पूरी, अपनी राह वही
अब सीपीटी ने साइंस एवं कॉमर्स का भेद भी दूर कर दिया है। शहर के कई छात्र-छात्राएं इसका लाभ भी उठा रहे हैं। निखिल एवं मीमांशा को ही देखिए, इन्होंने साइंस वर्ग से इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण की, लेकिन दोनों का ही इंजीनियरिंग का मन नहीं था। ऐसे में इन्होने सीपीटी फॉर्म भरा तथा उसे अच्छे अंकों से उत्तीर्ण किया। अब यह दोनो ही सीए की तैयारी कर रहे हैं। अगर आपका साइंस पढ़ने का मन है तथा करियर के लिए आप कई विकल्प खुले रखना चाहते हैं तो सीपीटी के द्वारा आप सीए (चार्टड एकाउंटेंट) के क्षेत्र में जा सकते हैं।
कॉमर्स में मिलते हैं विशेष क्षेत्र
* चार्टड एकाउंटेंट, कंपनी सेकेट्री।
* बीकॉम ऑनर्स भी कर सकते हैं, जिसके बाद में बैंक एवं अन्य क्षेत्र में जॉब पा सकते हैं।
साइंस के छात्रों के लिए विशेष क्षेत्र
* इंजीनियरिंग का क्षेत्र।
* विज्ञान के क्षेत्र में करियर।
* चिकित्सा का क्षेत्र।
इनके लिए कोई विशेष विषय नहीं
* बैचलर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन।
* मास कम्यूनिकेशन।
* फैशन डिजाइनिंग।
* एलएलबी। (पूना एवं बैंगलोर विवि से करने पर विशेष क्रेज रहता है। इसके लिए कंबाइंड लॉ एटीट्यूड टेस्ट भी होता है। इसे क्वालीफाइ कर एलएलबी करने पर कंपनी में कानूनी सलाहकार का पद पा सकते है)
विशेषज्ञों की बात
''परिजन बच्चों पर अपनी इच्छा नहीं थोपें। बच्चों को अपनी इच्छा से ही कोर्स चुनने दें। इससे छात्र बेहतर प्रदर्शन कर सकता है। प्रशासनिक एवं व्यापार के इच्छुक छात्र अगर कॉमर्स चुनना चाहते हैं तो उन्हें रोकें नहीं। छात्र अपनी पसंद के विषय को ज्यादा रुचि से पढ़ते हैं।''
-धीरज गुप्ता, धीरज विज्ञान केंद्र
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''अगर छात्रों को ऐसा लगता है कि यह विषय उन्हें जबरन दिलाया है तो वह उसमें पिछड़ जाते हैं। अच्छा करने की क्षमता होने के बाद में भी वह उसे अच्छा नहीं कर पाते हैं। बच्चों की काउंसलिंग करें, लेकिन इन बच्चों को अपना विषय खुद चुनने दें तो बच्चा अपनी प्रतिभा से बेहतर से बेहतर प्रदर्शन कर सकेगा।''
-शिवशंकर झा, झा क्लासेस
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