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जांच कमेटी निर्माण कार्य की परखेगी गुणवत्ता

जागरण संवाददाता, फतेहपुर: गंगा किनारे की 43 ग्राम पंचायतों व उनके 91 मजरों में करीब 20 करोड़ की धनराश

By JagranEdited By: Published: Mon, 01 May 2017 01:01 AM (IST)Updated: Mon, 01 May 2017 01:01 AM (IST)
जांच कमेटी निर्माण कार्य की परखेगी गुणवत्ता

जागरण संवाददाता, फतेहपुर: गंगा किनारे की 43 ग्राम पंचायतों व उनके 91 मजरों में करीब 20 करोड़ की धनराशि से निर्मित हुए स्वच्छ शौचालयों की जांच होगी। जिला पंचायत राज विभाग ने इसके लिए ब्लाक स्तर पर जांच कमेटी गठित की है। बनाए गए शौचालयों में कमेटी मानक और गुणवत्ता की जांच के साथ उन लाभार्थियों के बयान भी दर्ज करेगी। जिनके घर शौचालय बनाया गया है। विभाग द्वारा निर्माण कार्य के एक साल बीतने के बाद प्रकरण की जांच शुरू कराने से गंगा किनारे के गांवों में हड़कंप मच गया है।

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जिले की सांसद व केंद्र सरकार में खाद्य व प्रसंस्करण राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने बीते एक साल में गंगा किनारे के गांवों में बनाए गए 17 हजार शौचालयों में सरकारी धन के दुर्पयोग की शिकायत की है। आरोपों में दावा किया है कि शौचालय बनाने में ठेकेदारी की गयी। निर्माण में पीली ईंट का प्रयोग हुआ जबकि सरकार द्वारा तय मानक का निर्माण दौरान ध्यान नहीं रखा गया। शौचालय की रकम ग्राम पंचायत के खाते में भले ही भेजी गयी लेकिन लाभार्थी को वह तभी मिली जब उसमें पंचायत सचिव व प्रधान को सुविधा शुल्क दिया। उन्होंने दावा किया कि यह रकम जिले से गांव तक मिल बांट कर खाई गयी। केंद्रीय मंत्री की शिकायत का संज्ञान लेते हुए जिला पंचायत राज अधिकारी अजय आनंद सरोज ने निर्मित शौचालयों की पड़ताल शुरू करा दी है। उन्होंने कहा कि उनकी तैनाती जिले में हाल ही में हुई जबकि गंगा किनारे के शौचालय एक साल पूर्व से बन रहे हैं। ब्लाक स्तर पर एडीओ पंचायत की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गयी है, जो एक एक शौचालय की जांच कर रिपोर्ट विभाग को सौंपेंगे। जिन गांवों में एडीओ की रिपोर्ट पर संदेह होगा वहां जिले के अफसरों को नामित कर पुन: जांच कराई जाएगी।

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सचिव व प्रधान से होगी रिकवरी

- शौचालयों की जांच फिलहाल प्रारंभ की गयी है। अभी न तो कोई दोषी और न ही किसी गांव का नाम खुलकर सामने आया है। बावजूद इसके विभाग ने तैयारी की है कि जिन गांवों में मानक विहीन शौचालय पाए जाएंगे। उसके लिए प्रधान व सचिव को जिम्मेदार ठहराया जाएगा। चूंकि विभाग ने इन्हें शौचालय बनवाने के लिए जिम्मेदार बनाया था और मानक पूरे नहीं किए गए तो इसके सीधे उत्तरदायी यहीं है। इन्हीं से व्यय हुई धनराशि की भरपाई की जाएगी।


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