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जुखाम-खांसी के साथ अस्थमा के मरीज बढ़े

जागरण संवाददाता, फतेहपुर : सुबह-शाम बर्फीली शीतलहर और दोपहर को चटख धूप खुलने से नौनिहाल बच्चों के सा

By Edited By: Published: Mon, 16 Jan 2017 09:29 PM (IST)Updated: Mon, 16 Jan 2017 09:29 PM (IST)
जुखाम-खांसी के साथ अस्थमा के मरीज बढ़े
जुखाम-खांसी के साथ अस्थमा के मरीज बढ़े

जागरण संवाददाता, फतेहपुर : सुबह-शाम बर्फीली शीतलहर और दोपहर को चटख धूप खुलने से नौनिहाल बच्चों के साथ बुजुर्ग व महिलाएं भी बीमार हो रहीं हैं। बच्चों व बुजुर्गों में जहां जुखाम, खांसी के साथ सांस फूलने की शिकायतें आ रही हैं, वहीं महिलाओं में दस्त व वायरल फीवर हो रहा है। जिससे सदर अस्पताल के प्रत्येक ओपीडी में 80 से 90 मरीजों का चिकित्सकीय टीम इलाज कर रही हैं, लेकिन इमरजेंसी कक्ष में डॉक्टर अक्सर नदारद रहते हैं जिससे मरीजों को इधर उधर भागदौड़ करनी पड़ती है। शहर के आबूनगर मोहल्ला निवासी अंबुज गुप्ता सदर अस्पताल अपनी तीन माह की बच्ची सुधि को दिखलाने आए थे। इनका कहना था कि ठंड लग जाने की वजह से बच्ची दूध पीते ही पलट देती है और सोती नहीं हैं। इसी तरह मनीषा यादव -चौधराना का कहना था कि उनके पांच वर्षीय बेटी गुड़िया को ठंड लगने से पहले सिर दर्द हुआ फिर बुखार के साथ दस्त आ रहे हैं। शुक्रवार को ओपीडी में महिलाओं की लंबी कतार लगी रही। इसी तरह तमाम लोग प्राइवेट नर्सिंग होम में बच्चों का इलाज करवा रहे हैं। बालरोग चिकित्सक डॉ. मूलचंद्र का कहना था कि ठंड के मौसम में सुबह व शाम को शीतलहर शुरू हो जाती है और दिन भर चटक धूप खुलने से मौसम गड़बड़ा रहा है, जिसका सबसे ज्यादा असर बच्चों पर पड़ रहा है। कहा कि ठंड में बच्चों के हाथ-पैर व कान ढककर रखना चाहिए और खानपान में विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए ताकि बच्चों को ठंड न लग पाए। ठंड लगने से ही दस्त व बुखार की शिकायतें आ रही हैं। फिजिशियन डॉ. आरएन गुप्ता व डॉ. अर¨वद सचान का कहना था कि ठंड की वजह से बुजुर्गों में सांस फूलने की शिकायतें आ रही हैं, जिस पर उन्हें आराम करने की सलाह दी गई है। कहा कि महिलाओं में ठंड लगने से पेचिस व वायरल फीवर हो रहा है। सीएमएस डॉ. हरगो¨वद ¨सह का कहना था कि ठंड के मौसम में जुखाम-खांसी, वायरल फीवर के अधिक मरीज आ रहे हैं, जिन्हें चिकित्सकीय टीम देखकर दवाइयां दे रही हैं। कहा कि इमरजेंसी कक्ष में डाक्टर नदारत नहीं रहते हैं बल्कि अपरांह दो बजे तक ओपीडी करते हैं और गंभीर एक्सीडेंट आदि मामलों पर ओपीडी छोड़कर डाक्टर इमरजेंसी जाते हैं। उस बीच फार्मासिस्ट इमरजेंसी कक्ष में मौजूद रहते हैं।

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ठंड से बचने को क्या करें

- गर्म कपड़े पहनकर सिर, कान व नाक ढके रहें

- धूप निकलने पर शरीर से गर्म कपड़े न निकालें

- नंगे पैर जमीन पर न चलें अन्यथा ठंड का डर

- ठंडे पानी को छोड़कर गुनगुने पानी से स्नान करें

- ठंड लगने पर तुरंत चिकित्सकीय सलाह लें

- खानपान में स्वच्छता का अवश्य ध्यान दें


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