कटरी में मलेरिया, टायफाइड व डेंगू की दहशत
फतेहपुर, जागरण टीम : बाढ़ उतरने के बाद फैली गंदगी कटरी के लिए जानलेवा बनती जा रही है। वायरल के साथ क
फतेहपुर, जागरण टीम : बाढ़ उतरने के बाद फैली गंदगी कटरी के लिए जानलेवा बनती जा रही है। वायरल के साथ क्षेत्र में मलेरिया व टायफाइड के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। डेंगू की दहशत इस कदर है कि एक दर्जन से अधिक मरीज कानपुर व इलाहाबाद में इलाज करा रहे है। ग्रामीणों का कहना है कि यहां सरकारी जांच में वायरल फीवर बताया जाता है, जबकि प्राइवेट जांच में प्लेटलेट्स कम होने के साथ तीन मरीजों को डेंगू बताया गया है। यमुना कटरी के एक दर्जन से अधिक गांवों बीमारी कम होने का नाम नहीं ले रही है। पांच दिन से सरकारी टीमों के दौड़ने के बाद भी राहत न मिलने से तीस से अधिक मरीज जिला चिकित्सालय सहित प्राइवेट नर्सिंग होमों में आकर भर्ती हो गए है। सीएमओ डा. विनय पांडेय के निर्देश पर रविवार को संक्रामक रोग नियंत्रण टीम ने असोथर ब्लाक के वनपुरवा व कौंडर गांव में डेरा डालकर मलेरिया-टायफाइड की संभावना पर 90 मरीजों के खून जांच कर स्लाइडें बनाईं। वहीं हसवा ब्लाक के नरैनी गांव में 45 मरीजों की स्लाइडें बनाई गई हैं। कौंडर गांव में वायरल फीवर से रामकिशोर, चंदन, लक्ष्मी देवी, श्यामशंकर, बच्छराज, रामसखी समेत आधा सैकड़ा से अधिक मरीजों से चारपाई बिछी हुई हैं। सूचना पर शहर से आई चिकित्सकीय टीम ने टायफाइड व मलेरिया की संभावना पर 52 मरीजों के खून जांच के लिए स्लाइडें बनाई और दवाएं वितरित की। वहीं वनपुरवा गांव में भी टीम ने 45 मरीजों की स्लाइड बनाई। कस्बा असोथर में पीएचसी प्रभारी की टीम ने बुखार से पीड़ित धर्मेंद्र, रेखा पत्नी धर्मेंद्र व उनकी बेटी को दवाएं वितरित की। बताते हैं कि दवाएं फायदा न करने पर वह शहर खून जांच कराने चले गए। हसवा ब्लाक के नरैनी गांव में पीएचसी प्रभारी डा. अनुपम ¨सह ने करीब 300 मरीजों को स्वास्थ्य परीक्षण कर 45 मरीजों की खून जांच कर स्लाइड बनाई। पीएचसी प्रभारी का कहना था कि टायफाइड व मलेरिया की संभावना पर स्लाइडें बनाई गई है। कहा कि मलेरिया के संदेह पर रैपीड किटस से जांच की गई है। ललौली थाने के उरौली गांव में डॉक्टर मनीष ¨सह व डॉक्टर धर्मेंद्र ¨सह टीम के साथ डेरा डाले हुए हैं। उरौली में ढाई सैकड़ा से अधिक मरीज वायरल फीवर से ग्रसित हैं। मरीजों राजेंद्र साहू, पप्पू, महेंद्र ¨सह, धर्मेंद्र, सोनू, मोनू, कल्लू, ¨पकी व उनके तीमारदारों का आरोप था कि वह पखवारे भर से बुखार से ग्रसित हैं और सरकारी दवाएं भी खा रहे हैं लेकिन सरकारी दवाओं से अभी तक कोई फायदा नहीं हुआ है। दवा खाओ तो बुखार उतर जाता है और फिर चढ़ जाता है इसलिए वह शहर से दवाएं मंगाने को मजबूर हैं। हालांकि चिकित्सकीय टीम का कहना था कि तीमारदारों का आरोप बेबुनियाद है क्योंकि दवाओं से कई गांवों के मरीज ठीक हो रहे हैं। उधर पीएचसी प्रभारी असोथर डा. पवन बाजपेयी का कहना था कि कहा कि गंदगी व दूषित खानपान की वजह से बीमारियां घर कर रही हैं। कहा कि वनपुरवा, प्रेममऊ कटरा, रमसोलेपुर आदि कई गांवों में टीमें लगी हुई हैं और खून जांच कर दवाईयां वितरित की जा रही हैं।