नियुक्ति पत्र बांटने की रुकी प्रकिया फिर बढ़ी
फतेहपुर, जागरण संवाददाता : शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक बनाए जाने और नियुक्ति पत्र बांटने का रुका
फतेहपुर, जागरण संवाददाता : शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक बनाए जाने और नियुक्ति पत्र बांटने का रुका काम फिर से चल पड़ा है। गुरुवार को जिला विद्यालय निरीक्षण ने रिक्त पड़ी जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के प्राचार्य की कुर्सी संभाल ली। बतौर चयन समिति के अध्यक्ष का जिम्मा संभालते हुए बीएसए एवं अधीनस्थों को दो टूक शब्दों में हिदायत दी कि साफ सुथरा काम होना चाहिए।
डायट प्रचार्य के मेडिकल अवकाश में चले जाने के बाद शिक्षा मित्रों की तैनाती की प्रक्रिया में रूकावट आ गई थी अध्यक्ष के न होने से काम जहां का तहां ठप हो गया। शिक्षामित्र आंदोलित हो गए। एक संगठन ने पांच दिनों तक डायट में ताला जड़ दिया तो दूसरे संगठन ने बीएसए कार्यालय में ताला जड़ा। डीएम राकेश कुमार ने बीते दिन बुधवार को आदेश करते हुए डायट प्राचार्य की चार्ज जिला विद्यालय निरीक्षक को सौंप दिया। बीते दिन देररात में चार्ज लेते हुए जिला विद्यालय निरीक्षक ने गुरुवार की सुबह विधिवत चार्ज लिया। शिक्षामित्रों के नियुक्ति पत्र बांटने के काम को लेकर बीएसए रविशंकर से सलाह मशविरा किया। तैयार सूची में दर्ज शिक्षामित्रों का मिलान का काम शुरु किया। मिलान में उनके द्वारा की जा रही टोका टाकी बीएसए के अधीनस्थों रास नहीं आ रही थी। लेकिन उच्चाधिकारी के आदेश को टालना भी ठीक नहीं था। कार्यवाहक प्राचार्य मोहम्मद रफीक ने बताया कि पत्रावली की ¨बदुवार पड़ताल करके ही नियुक्ति पत्र जारी किए जाएंगे। वह दबाव में आकर काम नहीं करने वाले हैं। शिक्षामित्रों के भविष्य को लेकर चिन्तित हैं। उनका प्रयास होगा कि जल्द नियुक्ति पत्र जारी किया जाए। इसके पहले वह अहम ¨बदुओं का अवलोकन करेंगे। पहले विभाग से जानकारी लेंगे फिर अपने विवेक से विशेष पत्रावलियों की निगरानी करेंगे।
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अध्यक्ष के लिए डगर नहीं आसान
शिक्षामित्रों के कागजातों के फर्जी होने की आवाजें खूब रही हैं। प्रथम चरण के नियुक्ति पत्र बांटने के बाद पांच शिक्षा मित्र से सहायक अध्यापक की नौकरी पाने वाले बर्खास्त हो चुके हैं। ऐसे में फर्जीवाड़े से इंकार नहीं किया जा सकता है। प्रस्ताव रजिस्टर न होने की समस्या से शिक्षामित्र गुजरें हैं। हलांकि प्रस्ताव रजिस्टर रखना विभाग की जिम्मेदारी है इसके बिना पर नियुक्ति पत्र देना रोकना विधि सम्मत नहीं होगा लेकिन इस खामी को मिटाने के लिए भी खेल खेला गया है। शिक्षामित्रों से जमकर उगाही की गई है। ऐसी दशा में नए अध्यक्ष के लिए राह आसान नहीं होगी। उन्हें फूंक फूंककर कदम रखना होगा।