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मंदिरों में उमड़ी भीड़, गूंजे जयकारे

फतेहपुर जागरण संवाददाता : हवन की भीनी सुगन्ध वातावरण में गुंजायमान हो रहे मंत्रों के मधुर स्वर सुबह

By Edited By: Published: Fri, 27 Mar 2015 07:50 PM (IST)Updated: Fri, 27 Mar 2015 07:50 PM (IST)
मंदिरों में उमड़ी भीड़, गूंजे जयकारे

फतेहपुर जागरण संवाददाता : हवन की भीनी सुगन्ध वातावरण में गुंजायमान हो रहे मंत्रों के मधुर स्वर सुबह से ही सुनाई दिये। मंदिरों में आज नवरात्र की अष्टमी पर भक्तों की भीड़ लगी रही। हर कोई मां पार्वती के दर्शनों की आस लिये घंटों कतारों में खड़े रहे। शहर सहित ग्रामीण इलाकों में जगह-जगह भंडारे व कन्या भोज आयोजित किये गये।

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शंख, चन्द्र और कून्द सा सफेद वर्ण लिये महागौरी की पूजा के लिये नवरात्र के आठवें दिन आज भगवती भक्तों ने मंदिरों में काफी उत्साह के साथ विधिविधान से पूजा अर्चना की। मां दुर्गा की आठवीं शक्ति महागौरी की तपस्या के संबन्ध में प्रचलित है कि इन्होंने भोले बाबा को वर के रूप में पाने के लिये कठोर तप किया। जिससे इनका शरीर काला पड़ गया। इनके तप से प्रसन्न होकर शिव ने इनके शरीर को गंगा जल से धुल दिया जिससे ये बिजली के समान चमकने लगीं। बताते हैं कि तभी से मां का नाम महागौरी पड़ा। शुक्रवार को शारदीय नवरात्र की अष्टमी को भक्तों ने मां भगवती के इस रूप चमकते स्वरूप के दर्शन किये। सुबह से ही जगह-जगह विशाल भंडारे के साथ हवन व पूजन के कार्यक्रम अनवरत रूप से चलते रहे। रात्रि में कई मंदिरों में ढोलक की थाप पर देवीगीतों की स्वरलहरी गूंजती रही।

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कालिकन मंदिर में दिन भर गूंजते रहे जयकारे

शहर के मसवानी मुहल्ला स्थित कालिकन मंदिर में भोर पहर से ही जयकारों की गूंज सुनाई देने लगी। शहर सहित ग्रामीणांचलों से हजारों की तादाद में स्त्री, पुरुष व बच्चे दर्शन लाभ को पहुंचे। महिलाओं ने विधि विधान से पूजा अर्चना कर परिवार की सुख समृद्धि की कामना की। मां मुरादे पूरी कर दे हलुवा बाटूंगी, शेर पे सवार होके आ जा शेरा वालिए सहित अन्य देवीगीतों की स्वरलहरी भी गूंजती रही। वहीं ढोल नगाडों की धुन पर ग्रामीणांचलों से सैकडों भक्त थिरकते हुए मंदिर तक पहुंचे।

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जगह-जगह कन्या भोज व दी गई दक्षिणा

नवरात्र में देवीस्वरूपा कन्याओं को भोज कराने का विशेष महत्व बताया गया है। सनातन ¨हदू परिवारों ने घरों में ही कन्याओं को खीर पूड़ी व हलुवा का भोज कर अपनी सामर्थ के अनुसार दक्षिणा भी दी। कुछ लोगों ने तो कन्याओं को वस्त्र व बर्तन भी दान किए। अष्टमी के दिन कन्या भोज के लिए कन्याओं को लोग ढूंढते रहे। कई मुहल्लों के लोग अन्य मुहल्लों से कन्याओं को लेकर भोज कराया।


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