धमाके हुए कम, सतरंगी रोशनी में फूटी खुशियां
फतेहपुर, जागरण संवाददाता : तेज आवाज के पटाखे खतरा के साथ पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाते है। लगातार
फतेहपुर, जागरण संवाददाता : तेज आवाज के पटाखे खतरा के साथ पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाते है। लगातार जागरूकता का असर यह रहा कि इस साल धमाकों का जोर कम रहा। पटाखा की बिक्री पिछले सालों की तुलना में चालीस फीसद कम रही, वहीं अनार व आसमान में सतरंगी रोशनी बिखेरने वाली आतिशबाजी की बिक्री बढ़ी। धमाके कम होने से सभी ने राहत महसूस की और उजाले के इस पर्व को रोशनी की खुशियों में डुबा दिया।
कार्तिक आमावस्या को पड़ने वाला दीपावली का पर्व सुख, समृद्धि व वैभव का प्रतीक है। खुशियों की झोली भरने वाले इस पर्व में श्री लक्ष्मी-गणेश की पूजा, घरों की सफाई, अमावस की अंधेरी रात को प्रकाश से भरने का खास महत्व है। आतिशबाजी में पटाखों के धमाके से हवा में प्रदूषण की मात्रा बढ़ जाती है। पटाखें छुटाने से खतरा तो रहता ही है साथ ध्वनि व वायु प्रदूषण अधिक होने से बीमारियां बढ़ने की संभावना रहती है।
धमाके कम करने के बराबर दिए जा रहे संदेश का इस बार असर देखने को मिला। आतिशबाज गुलाब ने बताया कि इस साल पटाखों की बिक्री शहरी क्षेत्र में चालीस फीसद व ग्रामीण क्षेत्र में पच्चीस फीसद कम रही। कम आवाज के ही पटाखे खरीदे गए। अभिभावकों के साथ खरीददारी के लिए आए बच्चे भी पटाखे की जगह अनार, महताब, राकेट, चकरी व आसमान में सतरंगी रोशनी करने वाले नए आइटम को अधिक पंसद करते रहे। बाजार का रूख भी इस बार काफी कुछ इको रहा। खोया की मिठाई की जगह ज्यादातर लोगों ने ड्राई फ्रूट व चाकलेट की मिठाइयों की खरीददारी की।