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रात में कंपाने वाली सर्दी सहने की मजबूरी

- रेलवे स्टेशन व रोडवेज बस अड्डे पर रैन बसेरा नहीं - प्रतीक्षालय के बाहर जानवर और इंसान साथ-साथ ले

By Edited By: Published: Fri, 09 Dec 2016 01:01 AM (IST)Updated: Fri, 09 Dec 2016 01:01 AM (IST)
रात में कंपाने वाली सर्दी सहने की मजबूरी

- रेलवे स्टेशन व रोडवेज बस अड्डे पर रैन बसेरा नहीं

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- प्रतीक्षालय के बाहर जानवर और इंसान साथ-साथ लेटे

फर्रुखाबाद, जागरण संवाददाता : कड़ाके की सर्दी पड़ने लगी है। रात का तापमान 10 डिग्री सेल्सियस तक लुढ़कने लगा है। स्याह रात में कोहरे के कारण कपकपी छूटती ही नहीं। अलाव जलवाने के लिए शासन ने भले ही एक माह पूर्व ही बजट जारी कर दिया हो, लेकिन इस बजट का उपभोग होता नहीं दिख रहा। जब अलाव नहीं जल रहे तो रैन बसेरा तो दूर की कौड़ी हैं। शहर में रेलवे स्टेशन से लेकर रोडवेज बस अड्डे तक कहीं भी रैन बसेरा नजर नहीं आया। नगर पालिका परिसर में रैन बसेरा का एक बैनर तो लगा था, लेकिन रैन बसेरे का अता पता नहीं चला। सर्दी का आलम यह दिखा कि जानवर और इंसान साथ में ही सोते नजर आए।

बुधवार रात के लगभग 12.30 बजे थे। रेलवे स्टेशन से चंद कदम पहले कूड़ा बीनकर आग जलाने की जद्दोजहद दो लोग करते दिखाई दिए। इनमें से एक ने कंबल ओढ़कर खुद को बचा रखा था, तो दूसरा आग की तपिश से राहत पाने की कोशिश कर रहा था। रेलवे स्टेशन के सर्कुले¨टग एरिया में खड़े रिक्शों में चालक गठरी की मा¨नद सर्दी से बचने के लिए पड़े हुए थे। प्लेटफार्म पर यात्री प्रतीक्षालय तो है, लेकिन इसमें ताला पड़ा हुआ था। ताला पड़ा होने के कारण इसके बाहर ही कूड़ेदान के पास कुछ लोग सर्दी में ठिठुरते हुए सोने की कोशिश कर रहे थे। स्टेशन परिसर में ही लॉबी में भी लोग सर्दी से परेशान दिखे। रैन बसेरा न होने के कारण यहां लोग जमीन पर लेटे नजर आए। इन लोगों के साथ ही कुत्ता भी गर्माहट पाने की जुगत में लेट गया। स्टेशन से थोड़ी ही दूर पर एक अन्य इमारत के बाहर दो निराश्रित लोग कपकपाते हुए सर्दी से बचने की जुगत में लगे थे। यहां भी दो लोगों के बीच एक कुत्ता लेटा हुआ था। शहर के चौक पर अलाव जला तो होगा, लेकिन रात के एक बजे यह ठंड पड़ चुका था, राख में राहत पाने की कोशिश में एक रिक्शा चालक बैठा हुआ था और आसपास कई मवेशी गर्मी की उम्मीद में थे। नगर पालिका परिसर में रैन बसेरा का बैनर दिखा लेकिन रैन बसेरा कहां है यह पता नहीं चला। कुल मिलाकर यह रिपोर्ट उन दावों की हकीकत खोल रही है जिसमें भरपूर अलाव जलवाने से लेकर रैन बसेरे तक बनाए जाने की बात कही जाती है।


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