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किताबों की जगह गिलास और प्लेट

फर्रुखाबाद, जागरण संवाददाता : मध्याह्न भोजन योजना में बुधवार को अनेक विद्यालयों में पर्याप्त व्यवस्थ

By Edited By: Published: Wed, 29 Jul 2015 07:27 PM (IST)Updated: Wed, 29 Jul 2015 07:27 PM (IST)
किताबों की जगह गिलास और प्लेट

फर्रुखाबाद, जागरण संवाददाता : मध्याह्न भोजन योजना में बुधवार को अनेक विद्यालयों में पर्याप्त व्यवस्था न होने से 200 ग्राम के बजाए कम मात्रा में बच्चों को दूध मिला। कई विद्यालयों में दूध बांटा ही नहीं गया। जिन स्कूलों में अभी तक पाठ्य पुस्तकों का वितरण नहीं हो पाया है। वहां बच्चे अपने बैग में कापी, किताबों के बजाए मिडडे मील खाने के लिए गिलास, प्लेट और कटोरी लेकर विद्यालय आए।

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कमालगंज के प्राइमरी विद्यालय कुतुबपुर बघार में पंजीकृत 82 बच्चों में 44 मौजूद थे। प्रधानाध्यापिका गीता कुमारी ने कहा कि दूधिया मुन्नालाल से बात हुई थी, परंतु वह दूध लेकर नहीं आया। जिससे वितरण नहीं किया जा सका। शमसाबाद के जूनियर स्कूल लहरा में उपस्थित 9 बच्चों के लिए भी दूध की व्यवस्था नहीं हो सकी। प्राइमरी में भी 10.30 बजे तक दूध वितरण नहीं हुआ। प्राइमरी सुल्तानपुर के 190 में 142 छात्र मौजूद थे। प्रधानाध्यापक संतोष कुमार ने कहा कि अप्रैल, मई व जुलाई की कनवर्जन कास्ट अब तक नहीं आयी। थोड़े बच्चे हों तो अपने पास से पैसे खर्च कर मिडडे मील की तरह दूध भी वितरित करा दें। परंतु इतने अधिक बच्चों के लिए अपने पास से दूध की व्यवस्था करना मुश्किल है। जब परिवर्तन लागत आएगी, तभी व्यवस्था हो सकेगी। नवाबगंज के प्राइमरी सलेमपुर त्योरी में भी दूध वितरण नहीं हुआ।

प्राइमरी विद्यालय गौसपुर में 80 बच्चों के लिए 16 किलो दूध की जरूरत थी, लेकिन 12 किलो की ही व्यवस्था हो पायी। प्राइमरी अमानाबाद में पंजीकृत बच्चों के हिसाब से 5 किलो दूध कम था। प्रधानाध्यापिका ने बताया कि दूध की व्यवस्था ही कठिन हो रही है, चीनी की व्यवस्था कहां से करें। प्राइमरी खानपुर में 9.30 बजे तक बच्चे दूध के इंतजार में बैठे रहे। न्याय पंचायत स्तर पर निशुल्क पुस्तकें पहुंच जाने के बावजूद विद्यालयों में किताबें नहीं बंट पायी। हालत यह है कि बच्चों के बस्ते से कापी, किताबें तो नदारद हैं, लेकिन मिड-डे मील खाने के लिए बर्तन रखे होते हैं। शिक्षकों ने बताया कि नई कार्य पुस्तिकाएं व किताबें अभी नहीं बंटी हैं। कुछ बच्चों को पुरानी किताबें दिला दी गयी हैं, उन्हीं से पढ़ाई हो रही है। नाश्ते में दूध की झंझट से अधिकांश विद्यालयों में कोफ्ता-चावल का वितरण विलंब से हो पाया। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी योगराज ¨सह ने बताया कि विद्यालयों को अग्रिम रूप से अक्टूबर माह तक की परिवर्तन लागत भेजने के लिए कार्रवाई शुरू कर दी गयी है। विद्यालयवार धनराशि स्थानांतरित करने के लिए पत्रावली वित्त एवं लेखाधिकारी को भेज दी गयी है। जल्दी ही पैसा खातों में पहुंच जाएगा।


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