चीनी मिल के घाटे से टूटा किसान
कायमगंज, संवाद सहयोगी : बंदी की कगार पर खड़ी सहकारी चीनी मिल की दुर्दशा ने गन्ना किसानों की कमर तोड़ क
कायमगंज, संवाद सहयोगी : बंदी की कगार पर खड़ी सहकारी चीनी मिल की दुर्दशा ने गन्ना किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है। चार दशक पूर्व अपनी स्थापना से अब तक मिल करीब 200 करोड़ का घाटा उठा चुकी है। कुप्रबंधन और खटारा मशीनों के चलते यह घाटा साल दर साल बढ़ता जा रहा है। मिल इस वर्ष भी लगभग 20 करोड़ के नुकसान में है। चीनी नीति व गन्ना मूल्य निर्धारण की विसंगतियां भी मिल पर भारी पड़ रही हैं।
क्षेत्र में गन्ने की उपज को देखते हुए किसानों की सुविधा की दृष्टि से कायमगंज में सहकारी चीनी मिल की स्थापना करीब 40 वर्ष पूर्व की गयी थी। अब मिल की तकनीक और मशीनें दोनों 'आउट-डेटेड' हो चुकी हैं। जर्जर मशीनों के आये दिन 'ब्रेक-डाउन' का असर उत्पादन पर पड़ता है। आधुनिक मिलों में कम श्रम-शक्ति व लागत पर दो से चार गुना उत्पादन होता है, इससे पुरानी तकनीक की मिल पिछड़ती जा रही है। मिल में गन्ने की दैनिक पेराई क्षमता मात्र 12500 ¨क्वटल है, जबकि आधुनिक तकनीक की मिलों में यह क्षमता 25 से 50 हजार ¨क्वटल तक की होती है। इसके चलते मिल क्षेत्र में उत्पादित कुल गन्ने का मात्र 25 प्रतिशत ही उपयोग कर पाती है। शेष गन्ने को किसान औने-पौने दामों पर क्रेसर या कोल्हू पर बेचते हैं।
बीते सत्र में चीनी उत्पादन की लागत करीब 45 रुपये रही, जबकि मिल से चीनी का बिक्री मूल्य 28 रुपये प्रति किलो था। चीनी का भाव इस वर्ष केवल 22.50 रुपये प्रति किलो ही रह गया है। जिससे इस वर्ष का ही घाटा करीब 20 करोड़ हो गया है। गन्ना इस क्षेत्र की मुख्य फसल है, जिसकी खपत के लिये चीनी मिल का चलना जरूरी है, ¨कतु चीनी मिल की पुरानी जर्जर मशीनें सत्र के दौरान बार-बार धोखा दे जाती हैं। आधुनिक तकनीक की मिल लगाने को करीब 400 करोड़ के निवेश की आवश्यकता है।
मिल पर किसानों का 6 करोड़ बाकी
चीनी मिल के महाप्रबंधक एके सक्सेना ने बताया कि इस सत्र में मिल ने किसानों से करीब 43 करोड़ की कीमत का गन्ना खरीदा था। उत्पादित चीनी को 25 रुपये के हिसाब से बैंक में बंधक कर लिये गये लोन से किसानों को 37 करोड़ का भुगतान कर दिया। 6 करोड़ का भुगतान अभी बाकी है। जबकि मिल से चीनी का बिक्री रेट 22.50 रुपये प्रति किग्रा ही रह गया है। ऐसे में बैंक का मूलधन व ब्याज चुकाने को ही करोड़ों रुपये चाहिये। शासन की सहायता से किसानों का बकाया भुगतान शीघ्र किया जायेगा।