सिपाही को धक्का देकर कोतवाली से फरार
फर्रुखाबाद, जागरण संवाददाता : शहर कोतवाली पुलिस ने 27 फरवरी की रात पड़ोसी जनपद शाहजहांपुर के थाना अल्
फर्रुखाबाद, जागरण संवाददाता : शहर कोतवाली पुलिस ने 27 फरवरी की रात पड़ोसी जनपद शाहजहांपुर के थाना अल्लाहगंज क्षेत्र के मोहल्ला अदोई निवासी जगदीश शुक्ला के पुत्र शस्त्र मिस्त्री आदित्य शुक्ला को हिरासत में लिया था। उससे कैप्टन गन हाउस से दो दर्जन से अधिक शस्त्र गायब होने के मामले में आरोपी बनाकर पूछताछ की जा रही थी। सिपाही गुरुवार सुबह उसे कोतवाली की हवालात से निकालकर शौचालय ले जा रहा था। इसी दौरान वह सिपाही को धक्का देकर फरार हो गया। ड्यूटी पर मौजूद कोतवाली कार्यालय के सिपाही सूरज पाल ¨सह जादौन ने आदित्य के खिलाफ हिरासत से फरार हो जाने का मुकदमा दर्ज कराया है। पुलिस शाम तक उसकी खोजबीन में लगी रही, लेकिन पता नहीं चल सका। जानकारी मिली है कि शातिर आदित्य शुक्ला ने फरार होने की योजना पहले ही बना ली थी। हवालात में उससे मिलने कई लोग आते थे। सुबह कोतवाली में चहल पहल कम रहती है। होमगार्ड के प्लाटून कमांडर अनूप अवस्थी, एक होमगार्ड व सिपाही सूरज पाल ही मौजूद थे। इसी दौरान उसने नित्यक्रिया जाने को कहा। उसे बाहर निकाला गया। मौका पाकर वह भाग निकला। कोतवाली की जीडी रोक दी गई। शाम तक पता न चलने पर मुकदमा दर्ज किया गया। एसएसआई हरिश्चंद्र ¨सह ने बताया कि फरार आरोपी की तलाश की जा रही है। उसके भागने से फिलहाल लापता शस्त्रों की बरामदगी लटकने के आसार हैं। उन्होंने बताया कि जांच की जा रही है। फरारी में यदि किसी कर्मचारी को दोषी पाया गया तो उसके खिलाफ कार्रवाई के लिये पुलिस अधीक्षक को संस्तुति की जायेगी। विदित है कि कैप्टन आर्म्स स्टोर के मालिक अंसर अली खां ने वर्ष 2010 में दुकान पर ही गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। वर्ष 2013 में पुलिस व तत्कालीन सिटी मजिस्ट्रेट ने आर्म्स स्टोर के शस्त्र कोतवाली में जमा करवा दिये थे। दुकान के अभिलेखों का मिलान करने पर दो दर्जन से अधिक लाइसेंसी शस्त्र गायब होने का मामला प्रकाश में आया था। तहसीलदार ने इस संबंध में कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज करायी थी। जांच में पता लगा कि आदित्य शुक्ला आर्म्स स्टोर पर शस्त्र मरम्मत का काम करता था। उसी ने साठगांठ कर शस्त्रों की बिक्री मैनपुरी में की थी। इसमें शहर के ही एक शस्त्र विक्रेता पर भी शक की सुई घूम रही है। पुलिस को पता चला है कि शस्त्र विक्रेता के माध्यम से ही मिस्त्री ने शस्त्रों का सौदा किया था।