जीत-हार के साथ बहुत कुछ तय करेंगे चुनाव परिणाम
फैजाबाद : लोकसभा चुनाव के नतीजे जीत-हार के साथ अनेक दल और दावेदारों का भविष्य भी तय करने वाले होंगे।
दांव पर सबसे अधिक भाजपा प्रत्याशी लल्लू सिंह होंगे। मोदी लहर के बीच उनसे जीत की अपेक्षा यूं भी कहीं अधिक है। किसी जमाने में भगवा सियासत के गढ़ अयोध्या विस क्षेत्र की लगातार पांच बार नुमाइंदगी करने के बाद गत विस चुनाव में पराजय और लगातार दो बार लोस चुनाव में पराजय के बाद लल्लू के लिए मौजूदा चुनावी मोर्चा आखिरी मौका माना जा रहा है। यदि वे अयोध्या जैसी सांस्कृतिक राजधानी को समेटे फैजाबाद लोस क्षेत्र से जीते और मोदी की सरकार बनी तो उनके सियासी सफर को सुर्खाब के पर लगेगें पर यदि परास्त हुए तो उनके सियासी सफर का समापन भी तय माना जा रहा है। उन्हें मजबूती से चुनौती दे रहे कांग्रेस प्रत्याशी निर्मल खत्री का कद भी चुनाव परिणाम से मुकर्रर होगा। कांग्रेस विरोधी लहर के बीच वे पहले से ही अपनी स्वच्छ छवि और बेहतर चुनावी प्रबंधन की परीक्षा दे रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में भी उनके साथ पार्टी की साख दांव पर है। हालांकि निर्मल यदि हारे तो भी उन्हें लल्लू की तरह राजनीतिक वनवास का डर नहीं है। मौजूदा माहौल में महज जीत ही नहीं बल्कि उन्हें मिलने वाले मतों से भी उनका सम्मान आंका जा सकता है। यदि वे मतगणना को कड़े मुकाबले में तब्दील करने में कामयाब रहे तो भी उनका सम्मान बहाल रहेगा। सपा प्रत्याशी मित्रसेन यादव की 85 के करीब की उम्र के मद्देनजर मौजूदा चुनाव उनके लिए आखिरी मौका है। विशेषज्ञों का कहना है कि लंबी राजनीतिक पारी में छह बार विधायक और तीन बार सांसद रहने के बाद उन्हें स्वयं को साबित करने के लिए अधिक कुछ शेष नहीं रह गया है। हालांकि इसी लोस क्षेत्र में पड़ने वाली विधानसभा क्षेत्र से नुमाइंदगी करने वाले प्रदेश सरकार के एक कैबिनेट मंत्री, दो राज्यमंत्री और दो राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त सपा नेताओं की प्रतिष्ठा मित्रसेन की जय-पराजय से जरूर प्रभावित होगी। यदि वे मित्रसेन को कामयाबी दिलाने में कामयाब रहे तो उनके रुतबे में वृद्धि के साथ फैजाबाद सपा के अभेद्य दुर्ग के रूप में भी स्थापित होगा। चुनावी समर में बसपा प्रत्याशी जितेंद्र सिंह बब्लू की भी प्रतिष्ठा शामिल है। 2007 में बीकापुर क्षेत्र से विधायक बब्लू की तत्कालीन प्रदेश सरकार के समय तूती बोलती रही। एमएलसी अनुज मनोज सिंह गुड्डू के सहयोग और बसपा के मजबूत वोट बैंक के समावेश से उनकी चुनावी पूंजी को नजरंदाज नहीं किया जा सकता। मौजूदा मोर्चे पर यदि उन्हें कामयाबी मिली तो निश्चित रूप से उनका सियासी सफर सातवें आसमान पर नजर आएगा। यदि ऐसा न भी हुआ तो उन्हें मिलने वाले मतों के गणित से बसपा सहित अन्य दलों में उनका कद मुकर्रर होगा। आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी मयूरी तिवारी और पीस पार्टी प्रत्याशी मकसूद अली को मिलने वाले मतों से न केवल उनका बल्कि क्षेत्र में उनके दलों का भविष्य तय होगा।