अयोध्या आए थे भगवान कृष्ण
अयोध्या : जरासंध का वध करवाने के बाद भगवान कृष्ण ने तीर्थ भ्रमण के क्रम में अयोध्या की यात्रा की थी।
अयोध्या : जरासंध का वध करवाने के बाद भगवान कृष्ण ने तीर्थ भ्रमण के क्रम में अयोध्या की यात्रा की थी। इसकी पुष्टि राम भक्तों की प्रधान पीठ कनकभवन से प्राप्त एक शिलालेख से होती है। यह शिलालेख महाराज विक्रमादित्य के समय का माना जाता है। करीब दो हजार वर्ष प्राचीन होने के कारण शिलालेख का कुछ हिस्सा अपठनीय हो गया है पर पांच श्लोक स्पष्ट हैं। इनसे ज्ञात होता है, भगवान कृष्ण अयोध्या स्थित कनकभवन पहुंचे। यद्यपि उस समय कनकभवन का खंडहर ऊंचे टीले के रूप में सिमट चुका था। टीले के अग्रभाग पर कृष्ण ने एक दिव्य-दैवी महिला को तपस्या में लीन देखा और महिला की प्रबल राम भक्ति देख वे बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने महिला को मां सीता एवं भगवान राम की मूर्ति भी प्रदान की। शिलालेख के प्राप्य पंच श्लोकों की व्याख्या करते हुए प्रतिष्ठित पीठ लक्ष्मणकिला के व्यवस्थापक एवं ख्यातिलब्ध शास्त्रज्ञ आचार्य मिथिलेशनंदिनीशरण कहते हैं, श्लोक की शैली सूत्रात्मक होती है और इससे यह संकेत मिलता है कि भगवान कृष्ण ने अपने पूर्ववर्ती भगवान राम एवं कनकभवन के प्रति विधि-विधान से आस्था अर्पित की होगी और उसी क्रम में तपस्यारत महिला को भगवान राम एवं मां सीता की मूर्ति दी होगी। गीता से भी भगवान कृष्ण का भगवान राम के प्रति गहन सरोकार परिलक्षित है और वे उनकी परात्पर तात्विकता से भली भांति परिचित थे। यदि ऐसा न होता, तो वे गीता में यह न कहते कि मैं धनुर्धारियों में राम हूं।
इनसेट) कृष्ण कथा से आप्लावित होती है रामनगरी
यदि भगवान कृष्ण का भगवान राम से अनुराग परिलक्षित है, तो रामनगरी भी योगेश्वर के प्रति अनुराग से आपूरित है। यहां रामकथा के शताधिक व्याख्याता हैं, तो इक्का- दुक्का को छोड़कर वे सब के सब भागवत कथा यानी कृष्ण कथा के भी प्रवीण आचार्य हैं और नगरी प्राय: भागवत कथा से आप्लावित भी होती है।