कटान से जूझता पौराणिक महत्व का मणिपर्वत
फैजाबाद : पौराणिक महत्व का मणि पर्वत बरसात की कटान से जूझ रहा है। मिट्टी के कोई 80 फीट ऊंचे ढूह के र
फैजाबाद : पौराणिक महत्व का मणि पर्वत बरसात की कटान से जूझ रहा है। मिट्टी के कोई 80 फीट ऊंचे ढूह के रूप में स्थित मणिपर्वत की नींव दशकों से बरसात की वजह से दरक रही है। मणिपर्वत की ऊपरी सतह पर स्थापित मंदिर का वजूद तो सलामत है पर अन्य हिस्से कटान की वजह से निष्प्रयोज्य होते जा रहे हैं। तत्कालीन जिलाधिकारी ने करीब दशक भर पूर्व मणिपर्वत पर स्थापित यात्री गृह के लिए चेतावनी जारी की थी कि यह भवन जर्जर है एवं छत जीर्ण है, इसके ऊपर न चढ़ें। चेतावनी में जिलाधिकारी की ओर से यह भी कहा गया था कि भीड़ होने पर पीछे के द्वार की सीढि़यों से लौटें। यह अलग विषय है कि मणिपर्वत से उतरने की सीढि़यों के साथ उस पर चढ़ने की सीढि़यां भी जर्जर है। सतह की मिट्टी कटने के चलते इनकी मरम्मत भी संभव नहीं है। हर साल सावन शुक्ल तृतीया (इस वर्ष पांच अगस्त) को यहीं से नगरी के सावन झूला मेला शुरू होता है। लाखों की संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं। चार-पांच घंटे की अवधि में मणिपर्वत पर विराजमान मणि भगवान का दर्शन-पूजन करते हैं। आगामी मणिपर्वत मेला के मद्देनजर अयोध्या एडवर्ड तीर्थ विवेचनी सभा के महासचिव पुजारी रामदास ने मणिपर्वत का जायजा लिया और स्थल की उपेक्षा पर ¨चता जताई। कहा, मणिपर्वत को सुदृढ़ करने को अतिरिक्त प्रबंध होना चाहिए। पुरातत्व विभाग की ओर से संरक्षित होने के कारण मणिपर्वत को ²ढ़ किए जाने की राह में अड़चन भी है। पुरातत्व विभाग की ही बंदिश के चलते दो दशक पूर्व प्रदेश के तत्कालीन पर्यटन मंत्री कलराज मिश्र की ओर से मणिपर्वत के सुंदरीकरण और सु²ढ़ीकरण की योजना भी अधर में थी। इसके बाद से ही प्रशासन को मणिपर्वत की सुधि नहीं आई और तिल-तिल कर विघटित होता यह पौराणिक स्थल अपने हाल पर आंसू बहा रहा है।
जिलाधिकारी ने दिया सुंदरीकरण का आदेश
पांच अगस्त को मणिपर्वत मेला को ध्यान में रखकर मंगलवार को जिलाधिकारी ¨कजल ¨सह ने मणिपर्वत का जायजा लिया। पूर्वाह्न करीब एक घंटे तक मणिपर्वत परिसर का जायजा लेने जिलाधिकारी पहुंची। उन्होंने पीडब्लूडी एवं सीएनडीएस के अधिशासी अभियंताओं को सड़क निर्माण से लेकर मणिपर्वत के सुंदरीकरण का आदेश दिया। उनके साथ एसपी सिटी संकल्प शर्मा भी रहे।