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तरणताल की व्यवस्था पर उठे सवाल, दी तहरीर

फैजाबाद : स्वी¨मग पूल में डूबकर हुई छात्र उत्कर्ष की मौत ने तैराकी सीखने वालों की सुरक्षा व निगरानी

By Edited By: Published: Wed, 04 May 2016 10:28 PM (IST)Updated: Wed, 04 May 2016 10:28 PM (IST)
तरणताल की व्यवस्था पर उठे सवाल, दी तहरीर

फैजाबाद : स्वी¨मग पूल में डूबकर हुई छात्र उत्कर्ष की मौत ने तैराकी सीखने वालों की सुरक्षा व निगरानी व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर दिया है। बगैर लर्निंग पूल के यहां तैयार किए जा रहे तैराकों में नन्हें बच्चों से लेकर युवा तक हैं, लेकिन इनके लिए परमानेंट प्रशिक्षक की बात तो दूर लाइफ से¨वग जैकेट तक बमुश्किल ही मिल पाती है।

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इकलौते लाइफ सेवर के सहारे स्वी¨मगपूल में तैराकी का प्रशिक्षण ले रहे बच्चे और बड़ों की निगरानी की जा रही है। ये सभी ¨बदु तरणताल पर तैराकों की सुरक्षा व्यवस्था को कटघरे में खड़ा करते हैं। काश उत्कर्ष की मौत उन जिम्मेदारों की आंख खोल दे, जो तरणताल को संसाधानों से लैस करने के मुद्दे पर हाथ बांधे बैठे हुए हैं। फिलहाल इस मामले में उत्कर्ष के परिजनों की ओर से तरणताल लाइफ सेवर राजकुमार यादव की लापरवाही मानते हुए कार्रवाई के लिए तहरीर पुलिस को दी है। इसकी पुष्टि कोतवाल जितेंद्र ¨सह ने की है।

विभागीय कर्मचारियों की माने तो स्वी¨मग प्रशिक्षण के लिए संविदा पर प्रशिक्षक की नियुक्ति है, जो बीमारी के चलते अवकाश पर चल रहे हैं। सवाल यह उठता है कि संविदा पर तैनात प्रशिक्षक के अवकाश पर जाने के बाद प्रशिक्षक की वैकल्पिक व्यवस्था क्यों नहीं की गई? लाइफ सेवर पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं कि स्वी¨मग के समय वे कहां थे? इस पर विभाग का कहना है कि लाइफ सेवर स्वी¨मग सत्र चार से सात बजे तक अपनी ड्यूटी पर ही रहे और अपने कार्य के साथ प्रशिक्षण कार्य भी देख रहे थे। फिर उत्कर्ष कैसे डूब गए? इस सवाल का जवाब तरणताल से जुड़े जिम्मेदारों के पास नहीं है। सीधी सी बात है प्रशिक्षण में निगरानी की लापरवाही साफ दिखाई दे रही है।

सैकड़ों तैराक बचाने के लिए एक लाइफ सेवर

फैजाबाद : आमतौर पर तैराकी की संख्या को लेकर लाइफ सेवर और अन्य संसाधन जुटाये जाते हैं। पर यहां तो स्थिति उलट है। इस तरणताल में स्वी¨मग के लिए तैराकों की संख्या सैकड़ों में पंजीकृत है और सायं पांच से छह व छह से सात के सत्र में पचास से साठ तैराक स्वी¨मग पूल में तैरते ही हैं ऐसे में इकलौते लाइफ सेवर के सहारे इतने लोगों के जीवन बचाने की पहल कितनी सार्थक साबित हो रही है यह उत्पकर्ष के साथ हुआ हादसा बताने के लिए काफी है। बेहतर निगरानी के लिए यहां कम से कम तीन लाइफ सेवर होने चाहिए। लेकिन एक ही कर्मचारी के सहारे तैराकों को तरणताल में उतार दिया जाता है।

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किस बात की ली जाती है फीस

फैजाबाद : प्रति तैराक 200 व 500 रुपये प्रतिमाह की फीस ली जाती है। लेकिन इस मुकाबले व्यवस्थाएं प्रशिक्षणार्थियों को नहीं दी जाती हैं। स्वी¨मगपूल में न प्रशिक्षक है और न ही लाइफ जैकेट की व्यवस्था। सवाल उठता है कि व्यवस्थाओं को सुधारे बिना तरण ताल क्यों खोल दिया गया? तैराकी का शौक रखने वाले यह सोच कर अपना पंजीकरण कराते हैं कि वहां पर सभी व्यवस्थाएं मिल जाएंगी पर तरणताल में उतरने पर हकीकत का पता चलता है। लाइफ सेवर ही प्रशिक्षण का कार्य देखता है और लाइफ जैकेट आदि का पता ही नहीं रहता है। विभाग भी इतना ही कहता है कि लाइफ जैकेट दिए जाने का प्राविधान नहीं है। तैराक को इसकी स्वयं व्यवस्था करनी होती है। यानी तरणताल चलाने वाले की कोई जिम्मेदारी नहीं। फीस ले ली और उन्हें उनके हालात पर छोड़ दिया।

होती रही है लर्निंगपूल की मांग की अनदेखी

लर्निंगपूल का न होना भी हादसे का कारण माना जा रहा है। स्वि¨मगपूल के साथ लर्निंगपूल का होना जरुरी है। तैराकी सीखने वाले बच्चों को पहले लर्निंग पूल में ही उतारा जाता है जिसम ं लगभग चार फिट ही पानी रहता है। पर यहां का स्वी¨मगपूल बिना लर्निंगपूल के ही चल रहा है। पांच साल का बच्चा हो या फिर साठ साल का व्यक्ति, सभी एक ही स्वी¨मगपूल में अभ्यास करते हैं। अहम बात तो यह है कि लर्निंगपूल की मांग स्वी¨मग पूल के उद्घाटन के समय से ही की जा रही है पर विभाग है के कानों पर आज तक जूं तक नहीं रेंगी है।


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