राजनीतिक जमीन हरी करने की तैयारी
फैजाबाद: जनता ने भले ही उन्हें अपना प्रतिनिधि मानने से इंकार कर दिया हो लेकिन वन विभाग उनकी बंजर रा
फैजाबाद: जनता ने भले ही उन्हें अपना प्रतिनिधि मानने से इंकार कर दिया हो लेकिन वन विभाग उनकी बंजर राजनीतिक जमीन को शस्य श्यामला बनाने के लिए कमर कसे हुए है। जी, हां हम बात कर रहे हैं वन विभाग के बुधवार से शुरू हुए सात दिवसीय सालाना आयोजन वन महोत्सव की। वन विभाग ने इस महोत्सव के दौरान जिन माननीयों के हाथों पौधरोपण कराने की सूची सार्वजनिक की है, उससे सत्ता पक्ष का राजनीतिक हित साधने की गंध साफ सूंघी जा सकती है। जनप्रतिनिधियों के नाम पर वन विभाग ने ऐसे पूर्व माननीयों के नाम भी इस सूची में शामिल किए हैं, जो या तो मौजूदा समय में किसी सदन के सदस्य नहीं हैं अथवा पिछले विधानसभा चुनाव में जनता उन्हें नकार चुकी है।
मसलन, इस सूची में रुदौली के पूर्व विधायक अब्बास अली जैदी रुश्दी मियां व 2007 में बसपा के टिकट पर मिल्कीपुर से विधायक चुने गए आनंदसेन यादव के नाम शामिल हैं। आनंदसेन यादव बीकापुर के मौजूदा विधायक मित्रसेन यादव के पुत्र हैं। उन्हें पिछली मायावती सरकार में मंत्री रहते हुए दलित वर्ग की विधि छात्रा शशि की हत्या के आरोप में कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। उन्हें आगामी विधानसभा चुनाव में बीकापुर से सपा का संभावित उम्मीदवार माना जा रहा है। आश्चर्य की बात यह है कि पौधरोपण करने वाले माननीयों में मौजूदा विधायक अभय ¨सह व मित्रसेन यादव का नाम शामिल नहीं है। इसी तरह सेन परिवार की ही बहू और ह¨रग्टनगंज की ब्लॉक प्रमुख प्रियंका सेन के हाथों भी पौधरोपित कराए जाने की तैयारी है। उनके अलावा सपा से ही जुड़े पूराबाजार व अमानीगंज के ब्लॉक प्रमुखों को ही वन विभाग ने इस काबिल समझा है जबकि जिले में 11 ब्लॉक हैं लेकिन इन तीन को छोड़ किसी अन्य ब्लॉक प्रमुख का नाम सूची में शामिल नहीं है।
जिला पंचायत सदस्यों में रामनयन यादव इकलौते हैं जिन्हें यह गौरव हासिल होने जा रहा है, जबकि जिला पंचायत की अध्यक्ष मीना देवी गुप्ता का ताल्लुक भी सत्ता पक्ष से ही है लेकिन उनका नाम सूची से नदारद है। प्रभागीय वनाधिकारी आरपी वर्मा का ध्यान इस विसंगति की ओर आकृष्ट कराए जाने पर वह बचाव की मुद्रा में आ जाते हैं। वह यह कहकर प्रकरण से पल्ला झाड़ने की कोशिश करते हैं कि लंबी छुटटी के बाद उन्होंने कल ही कार्यभार संभाला है। वर्मा इस सवाल का जवाब नहीं दे सके कि कार्यक्रम से मौजूदा सांसद लल्लू ¨सह, राज्यसभा सदस्य विनय कटियार व प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पूर्व इलाकाई सांसद निर्मल खत्री जैसे नामचीन जनप्रतिनिधियों को क्यों नहीं जोड़ा जा सका।
राजनीति से बाज आएं अधिकारी:लल्लूपौधरोपण अभियान को सत्तादल की राजनीतिक जमीन तैयार करने का जरिया बनाये जाने पर इलाकाई सांसद लल्लू ¨सह ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने सवाल किया कि यदि आनंदसेन और रुश्दी मियां जनप्रतिनिधि हैं तो मैं, विनय कटियार, निर्मल खत्री, आचार्य रामदेव, मथुरा तिवारी, माधव प्रसाद और हुबराज क्या हैं। डीएफओ को यह स्पष्ट करना चाहिए। उन्होंने कहाकि अधिकारियों का काम सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों को अमली जामा पहनाने का है न कि राजनीति करने का।