धर्म संकट में फंसे हनुमानगढ़ी के गद्दीनशीन
अयोध्या: बजरंगबली की प्रधानतम पीठ हनुमानगढ़ी के मुख्य महंत गद्दीनशीन रमेशदास धर्म संकट में हैं। मं
अयोध्या: बजरंगबली की प्रधानतम पीठ हनुमानगढ़ी के मुख्य महंत गद्दीनशीन रमेशदास धर्म संकट में हैं। मंदिर की परंपरा के अनुसार वे हनुमानगढ़ी की 52 बीघा परिधि से बाहर नहीं जा सकते और अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने उन्हें वादी मुकदमा तलब कर रखा है।
अदालत में उपस्थित न होकर गद्दीनशीन ने 23 अगस्त 14 को जारी इस आदेश के विरुद्ध न्यायालय सत्र न्यायाधीश के यहां निगरानी याचिका दाखिल की थी। इसमें मांग की गई थी कि वह हनुमानगढ़ी के बाइलॉज के अनुरूप वह मंदिर छोड़कर कहीं आ-जा नहीं सकते और यदि बहुत आवश्यक हुआ, तो भी बिना निशान-शोभायात्रा के उनका आवागमन असंभव है। सत्र न्यायधीश ने इसी आठ जून को गद्दीनशीन की याचिका खारिज कर दी। विशेषज्ञों के अनुसार अदालत में उपस्थिति से बचने के लिए गद्दीनशीन के पास मामले में सुलह के अलावा हाईकोर्ट में ही जाने का चारा बचा है। गद्दीनशीन ने बताया भी उन्होंने हाईकोर्ट में अर्जी दे दी है। निर्वाणी अनी अखाड़ा के श्रीमहंत धर्मदास के अनुसार हनुमानगढ़ी की परंपरा अपनी जगह है पर अदालती आदेश का राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री तक को पालन करना पड़ता है। वे इस मसले पर खुलकर कुछ कहने से बचते हैं कि अदालती आदेश के पालन में गद्दीनशीन के पद पर क्या असर पड़ेगा। निर्वाणी अनी के ही महासचिव महंत गौरीशंकरदास कहते हैं, 30 वर्षों के दौरान उन्होंने तीन गद्दीनशीन देखे हैं और उनमें से किसी को हनुमानगढ़ी के 52 बीघा परिसर से बाहर निकलने की इजाजत नहीं रही है। निगरानी याचिका में गद्दीनशीन के अधिवक्ता रहे राजेश्वर ¨सह हालांकि हाईकोर्ट से गद्दीनशीन को राहत की उम्मीद जताते हैं।
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अयोध्या छोड़ने पर पूर्व गद्दीनशीन को देना पड़ा था त्यागपत्र
ढाई दशक पूर्व हनुमानगढ़ी के तत्कालीन गद्दीनशीन महंत दीनबंधुदास के भी मंदिर छोड़कर जाने का मामला तूल पकड़ चुका है। हालांकि बम एवं गोली के हमले से घायल दीनबंधुदास को लखनऊ इलाज के लिए ले जाया गया था पर हनुमानगढ़ी से बाहर न निकलने की परंपरा का हवाला देकर विरोधियों ने मौका न छोड़ते हुए उन्हें पद से वंचित करने का पूरा दबाव बनाया। इस विरोध से तत्कालीन गद्दीनशीन इतने आजिज हुए कि उन्होंने त्यागपत्र देने में ही भलाई समझी।