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वादकारियों की परेशानी, कचहरी में पंखा है न पानी

फैजाबाद : वादकारियों की दुर्दशा देखना है, तो कचहरी आइए। जिसके दम पर कचहरी चलती है, उसी का पुरसा हाल

By Edited By: Published: Sat, 23 May 2015 11:56 PM (IST)Updated: Sat, 23 May 2015 11:56 PM (IST)
वादकारियों की परेशानी, कचहरी में पंखा है न पानी

फैजाबाद : वादकारियों की दुर्दशा देखना है, तो कचहरी आइए। जिसके दम पर कचहरी चलती है, उसी का पुरसा हाल लेने वाला कोई नहीं है। बैठने का इंतजाम तो दूर भीड़ में खड़ा होना भी आसान नहीं होता। दिन भर खड़े-खड़े ही पुकार सुनने की मजबूरी रहती है। ऐसे में पीने के पानी की भी तलाश आसान नहीं है। वह झुलसा देने वाली गर्मी या लू का मौसम। महिला वादकारियों के लिए व्यवस्था तो ऊंट के मुंह में जीरा जैसा है। दीवानी न्यायालय में नवनिर्मित महिला वादकारी शेड पर ताला लगा है। इसे लोकार्पण का इंतजार है।

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प्रदेश में फैजाबाद कचहरी इस लिहाज से सबसे अच्छी मानी जाती है कि यहां कमिश्नरी, कलेक्ट्रेट, दीवानी व चकबंदी न्यायालय, उपभोक्ता संरक्षण फोरम, विकास भवन, रजिस्ट्री दफ्तर व आम जनता से जुड़े कई अन्य कार्यालय एक ही स्थान पर स्थित हैं। यहां रोजाना 15-20 हजार लोग किसी न किसी कार्य से कचहरी आते हैं। इनमें ज्यादातर वादकारी होते हैं। इनके अलावा अधिकारी, अधिवक्ता, पुलिसकर्मी, मुंशी, लिपिक, वेंडर, दुकानदार व अन्य शामिल हैं। इनमें अधिकारियों, अधिवक्ताओं व कर्मचारियों के लिए तो व्यवस्था है।

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यह तो सजा से कम नही

फैजाबाद : महिला वादकारियों की दुर्दशा को अगर करीब से देखना व समझना है, तो फैमिली कोर्ट से बेहतर जगह नहीं हो सकती। यहां पर्याप्त जगह न होने कारण महिला वादकारियों को तो चिलचिलाती धूप में ही पुकार सुननी पड़ती है। जमीन पर बैठ अपनी बारी की प्रतीक्षा करना उनकी मजबूरी है।


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