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तो कुलपति ने किया अधिकारों का अतिक्रमण

फैजाबाद : नरेंद्रदेव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के वित्त नियंत्रक सुरेश चंद्र उपाध्याय व कु

By Edited By: Published: Thu, 26 Mar 2015 10:50 PM (IST)Updated: Thu, 26 Mar 2015 10:50 PM (IST)

फैजाबाद : नरेंद्रदेव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के वित्त नियंत्रक सुरेश चंद्र उपाध्याय व कुलपति प्रो. अख्तर हसीब के बीच की तनातनी शासन तक पहुंच गई है। शासन ने वीसी की कार्रवाई को अधिकारों का अतिक्रमण मानते हुए उपाध्याय को दोबारा वित्त नियंत्रक के पद पर नियुक्त करने के लिए कुलपति को पत्र भेजा है। इसके बाद उपाध्याय को पद से हटाना वीसी के लिए गले ही हड्डी बन गया है। शासन के इस रुख के बाद विवि में हड़कंप मच गया है। विवि प्रशासन का कहना है कि शासन के पत्र पर विचार किया जाएगा।

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गौरतलब है कि बीती 16 मार्च को वित्त नियंत्रक सुरेश चंद्र उपाध्याय को हटाकर उनके स्थान पर निदेशक शोध डॉ. भगवान ¨सह को प्रभार दे दिया गया था। इसके साथ ही डॉ. आरके दोहरे व पूर्व कुलपति एवं कुलसचिव रहे डॉ. पीके गुप्ता को निलंबित कर दिया था। यह कार्रवाई पूर्व कुलपति डॉ. आरएस कुरील के कार्यकाल में हुई शिक्षकों की पदोन्नति में की गई अनियमितता के चलते की गई थी। शासन व राजभवन के निर्देश पर वीसी ने दोनों शिक्षकों को निलंबित करने के साथ ही उपाध्याय को वित्त नियंत्रक पद से हटाकर प्रशासनिक अनुभाग से संबद्ध कर दिया था। कुमारगंज संवादसूत्र के मुताबिक कुलपति के आदेश के विरुद्ध हटाए गए वित्त नियंत्रक सुरेश चंद्र उपाध्याय ने बीती 23 मार्च को शासन को प्रत्यावेदन दिया था। शासन के विशेष सचिव जेपी ¨सह की ओर से वीसी को भेजे पत्र में कहा है कि उपाध्याय न तो पदोन्नति से संबंधित बैठकों में शामिल हुए और न ही किसी कार्यवृत्त पर हस्ताक्षर किया है। ऐसे में किसी भी अनियमितता में उनकी संलिप्तता जाहिर नहीं होती। इसके साथ ही पत्र में कहा गया है कि उपाध्याय को शासन स्तर से वित्त नियंत्रक नियुक्त किया गया है। इसलिए उपाध्याय के विरुद्ध हुई कार्रवाई वीसी के अधिकार क्षेत्र के बाहर है। पत्र में कहा गया है कि 16 मार्च के उपाध्याय को वित्त नियंत्रक को पद से हटाने के आदेश पर पुनर्विचार किया जाए और उपाध्याय से ही वित्त नियंत्रक का कार्य संपादित कराया जाए। वहीं इस मसले पर विवि के मीडिया प्रभारी उमेश पाठक का कहना है फिलहाल कुलपति बाहर हैं और उनके आने पर शासन के पत्र पर विचार किया जाएगा।


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