Move to Jagran APP

लगन से बदल दी विद्यालय की तस्वीर

फैजाबाद : आम तौर पर परिषदीय विद्यालयों की चर्चा उनमें व्याप्त बदइंतजामी के लिए होती है, लेकिन शिक्ष

By Edited By: Published: Sat, 20 Dec 2014 12:12 AM (IST)Updated: Sat, 20 Dec 2014 12:12 AM (IST)
लगन से बदल दी विद्यालय की तस्वीर

फैजाबाद : आम तौर पर परिषदीय विद्यालयों की चर्चा उनमें व्याप्त बदइंतजामी के लिए होती है, लेकिन शिक्षा क्षेत्र अमानीगंज का प्राथमिक विद्यालय इब्राहिमपुर आपकी इस मान्यता को पूरी तरह गलत साबित कर देता है। यह विद्यालय अपने शानदार बाग-बगीचे व अनूठी शिक्षण पद्धति से पूरे जिले में खास पहचान बना रहा है और कानवेंट स्कूलों को टक्कर दे रहा है। प्रधानाध्यापक डॉ. विवेक ¨सह की चार साल की मेहनत का नतीजा है कि इस विद्यालय में दाखिले के लिए आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ दूर-दूर से बच्चे आने लगे हैं। साकेत महाविद्यालय से भूगोल विषय में परास्नातक व पीएचडी डॉ. विवेक ¨सह इसका श्रेय भले ही अपने सभी साथी शिक्षकों को देते हैं, लेकिन विद्यालय और बच्चों के प्रति उनका लगाव जगजाहिर है।

loksabha election banner

कठिन से कठिन परिस्थितियों में विद्यालय पहुंचने और शिक्षण कार्य को सुचारु बनाए रखने के डॉ. ¨सह के जुनून का नतीजा है कि सात कमरों में चलने वाले विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या 215 पहुंच चुकी है। पूर्व बेसिक शिक्षा अधिकारी रामलखन यादव ने प्रशस्ति पत्र दिया था, जबकि उन्हें विशिष्ट शिक्षक सम्मान से भी नवाजा जा चुका है। आइये अब आपको डॉ. ¨सह के कुछ अनूठे प्रयोगों की जानकारी देते हैं। नियमित पाठ्यक्रम के अतिरिक्त डॉ. ¨सह बच्चों को रोजाना अखबारों में प्रकाशित होने वाली खबरों की जानकारी देते हैं, जिससे बच्चे समसामयिक घटनाओं के प्रति सचेत रहें। इसके अलावा विद्यालय में नियमित रूप से देश-विदेश में होने वाली घटनाओं पर आधारित चर्चा का आयोजन किया जाता है। हाल ही में हुदहुद तूफान की जानकारी देने के लिए विद्यालय में हुई गोष्ठी ने खासी चर्चा भी बटोरी थी। इसके साथ ही विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकों व शिक्षकों के अतिथि व्याख्यान भी आयोजित किए जाते हैं, जबकि विद्यालय में प्ले-वे पद्धति को भी विकसित किया गया है। इसमें छतों पर लटकने वाले मॉडलों, खेल उपकरणों व अन्य विधियों से बच्चों को शिक्षा दी जाती है। विद्यालय में पुस्तकालय को भी विकसित किया गया है। साथ ही सभी कमरों व दीवारों पर अहम जानकारियां देने वाली पें¨टग की गई है। शारीरिक रूप से फिट रखने के लिए बच्चों को नियमित रूप से योग भी कराया जाता है। सन 2011 में इस विद्यालय के प्रधानाध्यापक बने डॉ. विवेक ¨सह ने विद्यालय की दशा बदलने के साथ ही बच्चों में आपसी सामंजस्य को विकसित करने के लिए सभी त्योहारों के आयोजन का सिलसिला भी शुरू किया और बच्चों के जन्मदिन स्कूल में मनाने की परंपरा भी रखी।

अब जरा आपको इस विद्यालय की एक और तस्वीर से रूबरू करा दें। विद्यालय में बाउंड्रीवाल नहीं है, लेकिन अभावों के बीच दूसरे ढंग से इस समस्या का हल निकाला गया। विद्यालय में आकर्षक बाग-बगीचों को विकसित किया गया। इसमें कई देशी-विदेशी फूलों को लगाया गया है। साथ ही विद्यालय जाने के रास्ते के दोनों और सुंदर क्यारियां बनाई गई हैं। मैदान में घास की नियमित रूप से कटाई की जाती है और बीच-बीच में लगे विभिन्न फूल विद्यालय की जगह पार्क में होने का एहसास कराते हैं। वहीं अब विद्यालय में किचन गार्डेन को विकसित किया जा रह है, जिसमें विभिन्न मौसमी सब्जियां आदि पैदा की जाएंगी। प्रधानाध्यापक डॉ. विवेक ¨सह कहते हैं कि सरकार प्राथमिक शिक्षा पर अरबों रुपए खर्च करती है, तो सभी का यह दायित्व बनता है कि बुनियादी शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने के लिए काम किया जाए। विभागीय अधिकारी भी उनकी इस लगन के कायल हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.