मुफलिसी में मनती है रामलला की दीपावली
अयोध्या : जिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के लंका विजय से लौटने की खुशी में पूरी दुनिया में भारतवं
अयोध्या : जिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के लंका विजय से लौटने की खुशी में पूरी दुनिया में भारतवंशी प्रकाश पर्व मनाते हैं, उनकी जन्मभूमि (विवादित) पर इस दिन भी मायूसी का ही आलम रहता है।
सुरक्षा संबंधी प्रतिबंध व बजट का अभाव इसकी अहम वजह है। आराध्य के अवध लौटने के जश्न के बीच जब घर-घर में तरह-तरह के लजीज व्यंजनों का दौर चल रहा होता है, उस वक्त रामलला को मात्र पूड़ी सब्जी , दो चार मिष्ठान व लैया, गट्टा से संतोष करना पड़ता है। इतना ही नहीं दीपावली की शाम जब पूरा देश रोशनी से नहा उठता है, उस वक्त उनके अस्थाई आशियाने में देशी घी के महज 25 दीपक जला पर्व की रस्म अदायगी भर कर ली जाती है।
रामलला के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्र दास के अनुसार रामलला के अस्थाई मंदिर में दीपावली पर्व के आयोजन की परंपरा तो है पर इसके लिए बजट के नाम पर एक पैसा भी नहीं मिलता। उन्होंने बताया कि वे खुद के पैसे से रस्म अदायगी करते हैं।
इस अहम मौके पर रामलला का साज-श्रृंगार भी काम चलाऊ होता है। सिर्फ भक्तों द्वारा अर्पित की गई राशि से करोड़पति हो चुके रामलला के लिए यह धन बेमानी है और दीपावली पर उन्हें दशकों पुराना चांदी का मुकुट पहनना पड़ता है। रामवल्लभा कुंज के अधिकारी राजकुमारदास ने इस स्थिति को बहुत ही दु:खद बताया। उन्होंने कहाकि राम पूरे विश्व के लिए शांति- सदाचरण सहित श्रेष्ठ मानवीय मूल्यों के संवाहक के रूप में प्रतिष्ठित हैं। उनकी जन्मभूमि पर बने मंदिर में दीपावली के भव्य आयोजन व उनके लिए सरकारी बजट की व्यवस्था पर विचार किया जाना चाहिए।