गंगासागर से रिश्तों पर चढ़ रही शान
फैजाबाद : रामनगरी और गंगासागर के रिश्तों पर नए सिरे से शान चढ़ रही है। गंगा सागर स्थित कपिल मुनि के प्राचीन आश्रम को देश के दर्शनीय स्थलों में शुमार कराने के निमित्त करोड़ों की लागत से जीर्णोद्वार कराया जा रहा है।
यह पहल अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं बजरंग बली की प्रधानतम पीठ हनुमान गढ़ी के महंत ज्ञानदास की ओर से की गई है। इस मुहिम में कपिल मुनि के भक्तों सहित कपिल मुनि चैरिटेबिल ट्रस्ट के अध्यक्ष रामनिवास जिंदल का सहयोग हासिल हो रहा है। सन् 2012 के मध्य से शुरू कपिल मुनि आश्रम के जीर्णोद्धार का काम निर्णायक चरण में है। 13 गुणे 80 वर्ग फीट से बढ़ाकर मंदिर की बुनियाद सौ फीट से अधिक लंबी एवं 40 फीट से अधिक चौड़ी कर दी गई है। आश्रम की आधार पीठ छह फीट ऊंची है और पहले से निर्मित 20 फीट ऊंचे शिखर की जगह 80 फभ्ट ऊंचे शिखर की ढलाई चल रही है। यही नहीं पूर्व में एक शिखर की जगह नवीनीकरण की प्रक्रिया में तीन शिखर निर्मित किए जा रहे हैं। 80 फीट ऊंचे मुख्य शिखर के साथ 70 फीट ऊंचे दो सहायक शिखर तैयार किए जा रहे हैं।
आश्रम परिसर में ही सुविधायुक्त 50 कमरों का धर्मशाला तैयार किया जा रहा है। आगामी योजना मंदिर के हर हिस्से को संगमरमर से आच्छादित किए जाने की है।
इस मुहिम का संयोजन कर रहे महंत ज्ञानदास ने बताया कि अभी तक करीब चार करोड़ का व्यय हो चुका है और काम पूरा होते-होते यह लागत दो गुनी हो सकती है। वे मुहिम में सहयोग देने के लिए साधारण श्रद्धालुओं से लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करना नहीं भूलते। उनके अनुसार ममता मात्र ईमानदार और कुशल प्रशासक ही नहीं हैं, उनमें भारतीय संस्कृति के प्रति भी अगाध अनुराग है।
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ममता का योगदान अहम्
अयोध्या: गंगा सागर स्थित कपिल मुनि के आश्रम को आकर्षक बनाने की मुहिम पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का योगदान अहम् है। 12 जून 2012 को आश्रम के नवीनीकरण का शिलान्यास करने के साथ उनके ही प्रयास के परिणामस्वरूप आश्रम के पृष्ठ में कपिल पैड़ी एवं कपिल मुनि सरोवर निर्मित किया गया है और आश्रम के सामने से गंगा सागर तक करीब एक किलोमीटर लंबी और सौ मीटर चौड़ी टाइल्सयुक्त सड़क निर्मित की गई है।
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कपिल मुनि की ननिहाल है अयोध्या
अयोध्या: गीता में भगवान कृष्ण ने जिन कपिल मुनि को स्वयं का स्वरूप बताया, उनकी तप स्थली भले उत्तर पूर्व का मनोरम भू भाग गंगा सागर हो और उनकी जन्म भूमि गुजरात स्थित सिद्धपुर हो पर उनकी ननिहाल रामनगरी में है। पौराणिक परंपरा के अनुसार कपिल मुनि उन स्वयं भू मनु के दौहित्र हैं, जिन्हें अयोध्या का संस्थापक माना जाता है। कपिल मुनि की मां का नाम देवहूति था, जो अयोध्या की राज कन्या थीं और ऋषि कर्दम से विवाह के बाद वे अयोध्या से विलग हो गई थीं। शास्त्रज्ञ एवं अयोध्या पर शोधपरक् ग्रंथ लिखने वाले आचार्य रामदेवदास के अनुसार कपिल मुनि के अयोध्या आने की संभावना जताते हैं और हनुमान गढ़ी परिसर से लगे कपिल गंज बाजार एवं कपिल मंदिर का जिक्र कर बताते हैं कि अयोध्या में कपल मुनि की विरासत आज भी प्रवाहपूर्ण है।
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अभयराम दास ने हटाई रिश्तों से बर्फ
अयोध्या: कपिल मुनि से अयोध्या का रिश्ता भले ही अनादि हो पर इस रिश्ते से बर्फ हटाने का काम करीब पौने तीन सौ वर्ष पूर्व हनुमान गढ़ी के नवोन्मेषक संत अभयराम दास ने किया और तभी से गंगा सागर स्थित कपिल मुनि के आश्रम का प्रबंध, पूजा-अर्चना एवं भोग-राग की व्यवस्था हनुमान गढ़ी ट्रस्ट के संवाहक संत-महंत करते हैं।