तिलकराम को ले डूबी आंतरिक कलह
फैजाबाद : लगातार विवादों के घेरे में रहे पूर्व विधानपरिषद सदस्य तिलकराम वर्मा को सपा की आंतरिक कलह ले डूबी और पार्टी हाईकमान ने उनका 'टिकट' काट दिया। महीनों से चल रही चर्चाओं को आखिरकार पंख लग गए और मित्रसेन यादव फैजाबाद संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवार घोषित कर दिए गए हैं। यादव की उम्मीदवारी से लोकसभा के चुनावी समीकरण भी बदल गए हैं।
सपा ने छह माह पूर्व यहां से पूर्व विधानपरिषद सदस्य तिलकराम वर्मा को उम्मीदवार घोषित किया था। वर्मा ने अपना चुनावी अभियान छेड़ा तो सपा जिलाध्यक्ष के पद से जयशंकर पांडेय को हटाने की मांग कर विवादों के घेरे में आ गए। पांडेय पुराने समाजवादी नेता हैं और सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के प्रति उनकी निष्ठा भी असंदिग्ध मानी जाती है। उनके भांजे तेजनारायण पांडेय 'पवन' सपा सरकार में प्रभावशाली राज्यमंत्री के अलावा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के करीबी हैं। जिलाध्यक्ष को लेकर समर्थन व विरोध में माह भर से अधिक समय तक आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला।
यह प्रकरण शांत भी नहीं हुआ था कि उन्होंने कार्यवाहक सिटी मजिस्ट्रेट अवधेश मिश्र के साथ दुर्व्यवहार कर अपनी छवि खराब कर ली। इस मामले में जिलाधिकारी की रिपोर्ट के बाद उन पर नगर कोतवाली में मुकदमा भी दर्ज हुआ। इन घटनाओं के बीच वर्मा आम मतदाताओं के बीच कोई खास आकर्षण भी नहीं पैदा कर सके। उधर तीन बार सांसद रहे बीकापुर के विधायक मित्रसेन यादव के लिए पुत्र आनंदसेन यादव का शशि हत्याकांड में हाईकोर्ट से बरी होना भी सहायक साबित हुआ। पिछले लोकसभा चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे मित्रसेन को सपा ने पुन: उम्मीदवार घोषित कर आंतरिक असंतोष थामने की कोशिश की है। वहीं कांग्रेस से संभावित उम्मीदवार प्रदेश अध्यक्ष डॉ. निर्मल खत्री के साथ ही भाजपा से किसी बड़े नाम के मैदान में उतरने की संभावना को परवान चढ़ता देख सपा के लिए यह फैसला लाजिमी हो गया था। इसके कयास भी महीनों से लगाए जा रहे थे। अन्य कई नाम भी चर्चा में चर्चा में थे, लेकिन लोकसभा के चुनावी अखाड़े का पुराना अनुभव मित्रसेन यादव के पक्ष में गया।
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