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नरभक्षी बने चंबल के मगरमच्छ

जागरण संवाददाता,इटावा: सेंचुरी क्षेत्र में इंसानों की आवाजाही से चंबल नदी में संरक्षित मगरमच्छ नरभक्

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Jun 2017 08:10 PM (IST)Updated: Thu, 22 Jun 2017 08:10 PM (IST)
नरभक्षी बने चंबल के मगरमच्छ

जागरण संवाददाता,इटावा: सेंचुरी क्षेत्र में इंसानों की आवाजाही से चंबल नदी में संरक्षित मगरमच्छ नरभक्षी बन गए हैं। आए दिन किसी न किसी को यह शिकार बना रहे हैं। अभी हाल ही में एक लड़की शिकार बनी। इससे पूर्व एक बच्चे को मगरमच्छ ने पानी में खींचा था। चंबल सेंचुरी क्षेत्र में आवाजाही पर रोक होने के बावजूद गांवों के लोग अपने पशु लेकर नदी पर पहुंच जाते हैं। डेढ़ वर्ष के दौरान करीब एक दर्जन इंसान मगरमच्छों का शिकार बन चुके हैं।

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हाल की घटना की बात करें तो तारीख थी पांच जून। शिवराम सिंह चौहान की 19 वर्षीय बेटी नीरज चौहान चकरनगर इलाके के सिद्ध बाबा मंदिर में दर्शन करने से पूर्व चंबल नदी में स्नान करने गई। एकाएक उसकी चीखें गूंज उठीं। मगरमच्छ सबके सामने उसे पानी में खींच ले गया। पुलिस ने खोजबीन का काफी प्रयास किया परंतु 15 दिन बीत जाने के बाद भी नीरज का पता नहीं चला। इस घटना से पहले भरेह इलाके में पर्थरा गांव के पास रहने वाले 12 वर्षीय प्रदीप मल्लाह को मगरमच्छ ने दबोच लिया था। प्रदीप अपने साथियों के साथ नहा रहा था। 24 घंटे के बाद उसका शव क्षतविक्षत हालत में मिला।शरीर पर मगरमच्छ के दांतों के आधा दर्जन निशान थे।

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ये घटनाएं भी हुई

नदी के किनारे बसे गांव बिठौली में राम प्रकाश बकरियां चरा रहे थे। नदी के तट से वह एकाएक गायब हो गया। खोजबीन की गई तो शव मिला। यह अंदाजा लगाया गया कि राम प्रकाश मगरमच्छ का शिकार हुए। महुआशाला गांव के 40 वर्षीय हीरा ¨सह बकरियां चराने गए थे। मगरमच्छ ने उन्हें बुरी तरह जकड़ लिया और पानी में खींच ले गया। बाह रेंज के गांव बसौनी के निवासी उमेश, खेड़ा राठौर के निवासी धर्मपाल और रानीपुरा के निवासी मुकेश भी मगरमच्छ के शिकार हो चुके हैं।

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जानवरों की जान पर भी आफत

चंबल क्षेत्र के बिहार गांव निवासी साधुराम के एक भैंसे को पानी पीते समय मगरमच्छ ने नदी में दबोच लिया। ग्रामीणों ने पत्थर मारे तब उसने बड़ी मुश्किल से भैंसे को छोड़ा। लोगों ने अब जानवरों को नदी में नहलाना बंद कर दिया है।

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जलीय जीवों के लिए आरक्षित है क्षेत्र

चंबल सेंचुरी के वार्डन सुरेश चंद्र राजपूत का कहना है कि रेहा घाट से लेकर पचनद तक घड़ियाल परियोजना चल रही है। यह क्षेत्र मगरमच्छ व घड़ियाल के लिए आरक्षित है। लोगों को यहां नहीं जाना चाहिए। मगरमच्छ तभी अटैक करता है जब उसे व्यक्ति से कोई खतरा महसूस हो। कुछ घटनाओं में मगरमच्छ के घोंसले के पास लोग चले गए थे जिससे मगरमच्छ ने हमला कर दिया परंतु वह खाता नहीं है।

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''मगरमच्छ को जब पर्याप्त भोजन नहीं मिलता है तो वह खतरनाक हो जाते हैं और मनुष्यों को शिकार बनाते हैं मगरमच्छ खतरनाक जलीय जीव है और छेड़े जाने पर हमलावर हो जाता है। ज्यादातर यह पानी में ही आक्रमण करते हैं। - राजीव चौहान, महासचिव, पर्यावरण संस्था सोसाइटी फार कन्जर्वेशन आफ नेचर


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