दो साल में भी संतृप्त नहीं हो सके 2170 मजरे
इटावा, जागरण संवाददाता: पं.दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण विद्युतीकरण योजना कार्यदायी संस्था की लापरवाही
इटावा, जागरण संवाददाता: पं.दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण विद्युतीकरण योजना कार्यदायी संस्था की लापरवाही की भेंट चढ़ गयी। संस्था को ग्रामीण क्षेत्र में 2170 मजरों को रोशन करने की जिम्मेदारी सौपी गयी थी, लेकिन बीते दो साल में मात्र 600 मजरों का कार्य हो सका। हैरत की बात तो यह है कि जिन मजरों में कार्य हुआ है, उसे भी शतप्रतिशत पूरा नहीं कहा जा सकता है।
शासन द्वारा तैयार की गयी 122 करोड़ की यह परियोजना ठेकेदारों के हाथ की कठपुतली बनी रही, डेढ़ साल पूर्व जिस कार्यदायी संस्था को ठेका दिया गया था, उस ठेकेदार द्वारा काम करने से ही इंकार कर दिया। इसके बाद एमडी स्तर पर इस कार्य का ठेका मुम्बई की एक फर्म को दिया गया। लेकिन यह फर्म भी कार्य को अंजाम देने में सफल नहीं हो सकी। परिणाम स्वरूप दो साल के बाद भी चयनित मजरों के लोगों को बिजली का लाभ नहीं मिल सका।
अधिकारी बोले
अधीक्षण अभियंता दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम परशुराम ¨सह ने बताया कि कार्यदायी संस्था द्वारा चयनित मजरों को बिजली से संतृप्त करने के लिए 2170 मजरों में 20 हजार बिजली के पोल लगाये जाने थे, लेकिन दो साल में मात्र 4 हजार पोल ही लग सके। इसके साथ ही आपूर्ति के लिए 2468 किलोमीटर तार की लाइन खीचीं जानी थी, लेकिन 12 किलोमीटर ही तार लाइन खींची जा सकी। इसी प्रकार संस्था द्वारा 793 किलोमीटर लाइन के सापेक्ष मात्र 36 किलोमीटर ही लाइन डाली जा सकी। मुम्बई की संबंधित एजेंसी द्वारा कार्य पूरा न करने तथा तय समय सीमा निकलने के बाद भी गांवों को रोशन न करने की शिकायत एमडी से की गयी है तथा चयनित गांवों को रोशन कराने की व्यवस्था किसी अन्य कार्यदायी संस्था से कराने की संस्तुति की गयी है।