अब रिश्तों को सहेजने में लगे प्रत्याशी
बकेवर, संवाद सहयोगी : वक्त के हाथों हर व्यक्ति मजबूर होता है। इसका नमूना इस बार पंचायत चुनाव में
बकेवर, संवाद सहयोगी :
वक्त के हाथों हर व्यक्ति मजबूर होता है। इसका नमूना इस बार पंचायत चुनाव में साफ दिख रहा है। प्रधान पद के दावेदार ऐसे रिश्तों को जोड़ने में लगे हैं, जो कभी उन्हें नागवार लगते थे। हालत यह है कि एक-एक मत सहेजने में पसीने छूट रहे हैं।
महेवा विकास खण्ड क्षेत्र के गांवों में चुनाव सरगर्मी तेज है। मतदाता हैं कि सभी उम्मीदवारों के पक्ष में मतदान करने की बात कर प्रत्याशियों की नींद हराम कर रहे हैं। प्रत्याशियों के माथे पर ¨चता की लकीरें साफ देखी जा सकती हैं। प्रत्याशी चुनाव परिणाम को अपने पक्ष में करने के लिये सारी जुगत भिड़ा रहे हैं, लेकिन किसी एक के पक्ष में चुनावी समीकरण नहीं बन पा रहा है। एक प्रत्याशी शाम को जिस घर के मतदाता अपने पक्ष में करता है, सुबह वह दूसरों के साथ नजर आता है। दर्जनों प्रत्याशी ऐसे भी हैं जो पहले अपने गांव व आस-पास के घरों के लोगों से बात करना तो दूर देखना भी पसंद नहीं करते थे, लेकिन आज उनके दरवाजे पर सजदा करते दिख रहे हैं। ऐसे मतलब परस्त लोगों से खार खाए मतदाता भी कम नहीं हैं। जिन मतदाताओं को प्रत्याशी अपने पक्ष में नहीं कर पा रहे उनके रिश्तेदारों की मदद लेते हुये देखे जा रहे हैं। प्रत्याशियों से नाराज चल रहे मतदाता को अपने पक्ष में करने के लिये क्षेत्र के दर्जनों प्रत्याशी अब तक मंदिरों पर जाकर अगले 5 साल सरकारी योजनाओं में भागीदारी कराने व हर कदम पर साथ देने का वादा करते देखे गये हैं। चर्चा का विषय है कि अब अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिये प्रत्याशी रिश्तों की कड़वाहट भूलकर मतदाताओं की शरण में हैं।