श्रम विभाग की उदासीनता से संडे को भी फुटपाथ बोझिल
इटावा, जागरण संवाददाता : इसे श्रम विभाग की उदासीनता कहा जाए अथवा सुविधा शुल्क की परंपरा, कारण कुछ भ
इटावा, जागरण संवाददाता : इसे श्रम विभाग की उदासीनता कहा जाए अथवा सुविधा शुल्क की परंपरा, कारण कुछ भी रहे हों, यहां बंदी दिवस घोषित होने के बावजूद रविवार को फुटपाथों को अतिक्रमण से निजात नहीं मिल पा रही है। अवैध कब्जा से दबे फुटपाथ अपनी आजादी को लेकर सारे दिन कराहते रहते हैं। अंतिम सांस ले रहे फुटपाथों की ओर प्रशासन का ध्यान नहीं जा रहा है।
श्रम विभाग को बाजार बंदी का पूरा अधिकारी दिया गया है, लेकिन बाजार के दुकानदारों तथा श्रम विभाग के लिए रविवार का दिन किसी कामधेनु से कम नहीं माना जा रहा है। देखा जा रहा है कि पक्की दुकान मालिक भी इस मौके का लाभ उठाने से कतई परहेज नहीं कर रहे हैं। वे भी बहती गंगा में हाथ धोने के लिए अपनी दुकान के सामने फुटपाथ को किराये पर देकर अपनी जेब गरम कर रहे हैं। रही बात पैदल चलने वालों की तो उनकी ओर देखने वाला कोई नहीं है। इस प्रथा से शहर का साबितगंज चौराहा से बजाजा लाइन चौराहा तक का फुटपाथ बुरी तरह से कराह रहा है। जल निगम ने भी फुटपाथ का सीना चाक कर पाइप लाइन क्या डाली कि लोग चाह कर भी नहीं निकल सकते हैं।
साबितगंज चौराहा से होटल आशियाना
साबितगंज चौराहा मैन बाजार में आने-जाने का प्रमुख मार्ग है। इस चौराहा के दोनों ओर फूल माला वाले अपने काउंटर लगा कर जमे रहते हैं। वहीं गैस बे¨ल्डग, फल व हलवाइयों के काउंटर फुटपाथ पर ही खुलते हैं। इसके चलते आम आदमी का निकलना संभव नहीं रहा है।
होटल आशियाना से ढाल बाजार
इस रोड पर ग्रामीण दुकानदारों के लिए थोक के सामान की दुकानें संचालित हैं। रविवार को भी उक्त दुकानदार आधा शटर खोलकर अपना पूरा कारोबार करते रहते हैं। नो-एंट्री लागू न होने से वाहन रोड पर तथा दुकानदार फुटपाथ तक पसरे रहते हैं। इसके चलते पैदल चलने वालों को भी जाम में घंटों फंसा रहना पड़ता है।
ढाल बाजार से पुलकहारान मोड़
शहर की इस व्यस्त रोड़ पर त्रिपाल बेचने वालों की दुकान तो फुटपाथ पर ही नजर आती है। वहीं लकड़ी के गेट व अन्य सामान का कारोबार भी सड़क तक किया जाता है। जूता-चप्पल की दुकानें व जनरल स्टोर सहित आवश्यक सामान की दुकानें भी फुटपाथ की ही शोभा बढ़ाकर लोगों के लिए परेशानी का सबब बनी रहती हैं।
भाड़ों वाली गली से रामगंज मोड़
इस मार्ग पर रविवार को मांस के कांउटर फुटपाथ पर ही लगे होने से रोड पर जमावड़ा लगा रहता है। दोनों ओर फुटपाथ पर फलों के ठेले मजबूती के साथ जमे रहते हैं, वहीं अनेक दुकानों के सामान भी दुकान से निकल कर फुटपाथ पर आ जाते हैं।
रामगंज मोड़ से बाजाजा लाइन चौराहा
इस मार्ग पर फलों के ठेले कुछ इसी कदर फुटपाथ पर जमे रहते हैं मानो जन्मसिद्ध अधिकार हो। फलों के ठेलों से फुटपाथ का नाम ही मिट जाता है। खोया की दुकानों के साथ बूरा, बतासा, सेवईं, फेनी, तेल-डालडा की दुकानें बाहर निकल कर फुटपाथ पर आ जाती हैं जो रविवार को भी यथावत रहती हैं। श्रम विभाग को यह सब दिखाई नहीं देता है।
फुटपाथों की आजादी को लेकर प्रशासन सुस्त
बाजार के फुटपाथ खाली न होने से ग्राहक दुकान तक नहीं आ पाते हैं। ग्राहक रोड़ पर चलकर आगे निकल जाते हैं। हालत यह है कि कई बार तो फुटपाथ को लेकर ठेले वालों से जब आगे बढ़ने को कहा जाता है, तो उनका कहना होता है कि वे पुलिस को पैसे देते हैं। -शकील अहमद
श्रम विभाग संडे को भी बाजार खुलने पर रोक नहीं लगा पा रहा है। बाजार के फुटपाथ खाली न होने से गांव से आने वाली जनता को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है। खासकर महिलाओं व विकलांगों को तो निकलने में जो परेशानी होती है, उसकी किसी को परवाह नहीं है।
- नागेश जैन
फुटपाथ की जमीन का आकलन किया जाये तो पता चले कि फुटपाथ कितने मंहगे होते हैं। फुटपाथ पैदल चलने वालों की सुविधा व सुरक्षा के लिए बनाये जाते हैं, व्यापार करने के लिए नहीं, इनको तो खाली होना ही चाहिए। - रामदास
शहर में फुटपाथों पर होने वाले कब्जे शहर की सुंदरता के लिए अभिशाप बने हुए हैं, यह जानकर भी लोग फुटपाथ पर कब्जा करना नहीं छोड़ रहे हैं। फुटपाथ गरीबों के लिए चलने को होते हैं, इनको खाली कराने की कार्रवाई होनी ही चाहिए।
- इमरान
क्या कहते हैं अधिकारी
फुटपाथ पर कब्जा की समस्या प्रशासन के संज्ञान में है, व्यस्तता होने के कारण अभियान नहीं चल पा रहा है। निकट भविष्य में प्रभावशाली अभियान चलाने की योजना है। - नीलम चौधरी, अधिशासी अधिकारी, नगर पालिका परिषद