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सफाईकर्मियों ने ही कर दिया रैपिड सर्वे

केस हिस्ट्री एक.. ग्राम पंचायत चकरनगर जो इस वर्ष अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी, रैपिड सर्वे में

By Edited By: Published: Sat, 04 Jul 2015 08:40 PM (IST)Updated: Sat, 04 Jul 2015 08:40 PM (IST)
सफाईकर्मियों ने ही कर दिया रैपिड सर्वे

केस हिस्ट्री एक..

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ग्राम पंचायत चकरनगर जो इस वर्ष अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी, रैपिड सर्वे में प्रगणक के ऊपर दबाव डालकर ओबीसी वर्ग की जनसंख्या को बढ़ाने का प्रयास स्थानीय सत्ता पक्ष के लोगों द्वारा किया गया। कोशिश यह है कि इस बार यह सीट ओबीसी वर्ग की आरक्षित हो जाये। इस क्षेत्र में सामान्य वर्ग का बाहुल्य है।

केस हिस्ट्री दो...

महेवा ब्लाक की लखना देहात व शेरपुर-रसूलपुर में भी प्रगणकों के ऊपर यही दबाव था कि किसी तरह ओबीसी वर्ग का प्रतिनिधित्व सर्वे में बढ़ा दिया जाये। जिसके कारण इस सीट पर ओबीसी वर्ग का आरक्षण हो सके और प्रधानी का चुनाव आसानी से लड़ा जा सके। इन सीटों पर सामान्य वर्ग व पिछड़ा वर्ग में थोड़ा बहुत ही अंतर है।

इटावा, जागरण संवाददाता : रैपिड सर्वे के साथ किस तरीके से खिलवाड़ किया गया इस प्रत्यक्ष नमूना ताखा ब्लाक में देखने को मिला। यहां पर शिक्षकों के ड्यूटी से इंकार करने पर रोजगार सेवक व लोक शिक्षा केंद्रों के प्रेरकों के साथ कर्मचारी कम पड़ने पर सफाई कर्मियों को ही सर्वे कार्य में लगा दिया गया। अब भला सफाई कर्मचारी क्या सर्वे करेंगे यह तो आप समझ ही गये होंगे। सफाई कर्मी कुमदेश कुमार को ग्राम पंचायत रिदौली, रहीस खां को कुर्खा, रफीक को दीघ, अवधेश को रौरा, गणेश को रौरा, भोज राज को कुदरैल, पवन कुमार, राजेंद्र ¨सह व ललिता देवी को ताखा, मुहम्मद जहीर को बनी हरदू, मनोज को सरसई, चंचल ¨सह को शेखूपुर पचार, सतीश बाबू को नगरिया सनाबांध, शशि कपूर को हर कुंचल पुर में लगा कर रैपिड सर्वे की खानापूरी कर दी गई। हालांकि बीडीओ विजय शंकर चौरसिया का कहना है कि कुछ सफाई जरूर लगाये गये थे और उनसे सर्वे का कार्य कराया गया। दो तीन पंचायतों को छोड़कर सर्वे का कार्य पूरा हो गया। सूचियों के प्रकाशन का आदेश उन्होंने कर दिया है।

एक ही स्थान पर बैठकर हो गया सर्वे

रैपिड सर्वे में अन्य सर्वे की भांति ही सर्वे का काम हुआ है। इस कार्य में लगाये गये प्रगणकों ने गांव-गांव में एक ही स्थान पर बैठकर परिवारों का सर्वे कर दिया। इस कार्य में 1063 प्रगणक लगाये गये हैं। माना जा रहा है कि गांव में इस कार्य को लेकर प्रधानों व प्रधानी के दावेदारों की खूब चली। उन्होंने अपने मन मुताबिक परिवारों का सर्वेक्षण करा लिया। हालांकि इतनी बड़ी संख्या में सर्वे को सही ढंग से कर पाना प्रगणकों के लिए संभव ही नहीं है और न ही इतना समय उन्हें इस कार्य के लिए दिया जा रहा है।

प्रधानों को पता नहीं कहां हुआ प्रकाशन

रैपिड सर्वे तो हो गया परंतु प्रधानों को पता नहीं है। ताखा ब्लाक के ग्राम पंचायत कुदरैल के प्रधान अशोक कुमार शाक्य को नहीं मालूम कि सर्वे हुआ है। बदकन शाहपुर के प्रधान संग्राम ¨सह चौहान को भी नहीं पता है। इन गांवों में सूची चस्पा नहीं की गयी है। ज्यादातर गांवों में यही हाल है। हालांकि लोगों के घरों के बाहर गेरू से नंबर जरूर डाल दिये गये हैं परंतु उनसे कोई जाति पूछने नहीं गया। वहीं बीडीओ विजय शंकर चौरसिया का कहना है कि ग्राम पंचायतों में सर्वे प्रकाशन किया गया है। यही हाल चकरनगर व बढ़पुरा ब्लाकों का बताया गया है। ग्राम पचांयत ¨सडौस में पूर्व प्रधान पुत्र अनूप कुमार ¨सह का कहना है कि सर्वे कार्य तो हुआ पर सूची का प्रकाशन कब हो गया किसी को पता नहीं।

सूची मिले तो आपत्ति दाखिल करें

अधिकांश ग्राम पंचायतों में रैपिड सर्वे की सूची चस्पा न होने पर लोगों का कहना है कि जब हमें सूची देखने को ही नहीं मिल रही है तो हम आपत्ति कैसे दाखिल करेंगे। जबकि आपत्ति दाखिल करने की अंतिम तिथि 7 जुलाई है और अभी तक गांवों में कोई सूची चस्पा ही नहीं की गयी है। जो लोग सर्वे करने आये थे वे अब दिखाई नहीं दे रहे हैं।

सर्वे के पीछे छिपे हैं सियासी खेल

मिनी संसद के लिए प्रदेश सरकार द्वारा चुनाव से पहले जनपद की 471 ग्राम पंचायतों में रैपिड सर्वे करवाया जा रहा है। रैपिड सर्वे कहने को तो पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या का आकलन करने के लिए किया जा रहा है, परंतु हकीकत में इसके पीछे तमाम सियासी खेल छिपे हुए हैं। सत्ता पक्ष व अपने क्षेत्र में वर्चस्व रखने वाले लोग इस सर्वे के पीछे अपने मंसूबे पूरे करने में लगे हुए हैं। उसकी कोशिश यह है कि उनकी ग्राम पंचायत एन-केन-प्रकारेण रैपिड सर्वे के बाद पिछड़ा वर्ग में शामिल हो जाये। जनपद में अधिकतर ग्राम पंचायतों में सर्वे की सूची प्रकाशित नहीं हुई है। आरक्षण का दारोमदार रैपिड सर्वे पर ही रहना है। ऐसे में सर्वे की रिपोर्ट व उस पर आई आपत्तियों पर सियासी लोग निगाह रखे हुए हैं। हालांकि सत्ता पक्ष के दबदबे के आगे कोई सहज मुंह खोलने को भी तैयार नहीं है। सर्वे में जाति के अनुसार सीटों का आरक्षण किया जाना है। यह सर्वे ओबीसी जाति का पता करने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा कराया गया है। जनपद की 16 लाख आबादी में कितने पिछड़े वर्ग के लोग रहते हैं उसका पता इस सर्वे से लगाया जा सकेगा। उसी अनुपात में पंचायतों के लिए आरक्षण भी किया जाना है। पूरे जनपद में 1063 प्रगणक व 106 सुपरवाइजर इस कार्य को अंजाम देने में लगे हुए हैं। पूरे जनपद में कुल मिलाकर 2 लाख 13 हजार 590 परिवारों का सर्वे किया जा रहा है। जिसमें सर्वाधिक संख्या महेवा ब्लाक की 40 हजार 59 की है।

चक्रानुक्रम में बदलेगा आरक्षण

पंचायतों के लिए होने वाले आरक्षण में रैपिड सर्वे व चक्रानुक्रम व्यवस्था इस बार भी लागू होगी। यह व्यवस्था लागू होने से सभी सीटें बदल जायेंगी। मसलन जो सीट पहले हरिजन के लिए आवंटित होगी, अगर वहां पर पिछड़ा वर्ग के लोग ज्यादा पाये जाते हैं। तो यह सीट पिछड़ा वर्ग के खाते में चली जायेगी। प्रधानी के दावेदारों की यह कोशिश है कि सर्वे के परिणाम उन्हीं के हिसाब से आयें ताकि उन्हें अपने मन मुताबिक आरक्षण कराने में सुविधा हो सके।

आरक्षण का स्वरूप वर्ष 2010

कुल प्रधान - 420

अनुसूचित महिला - 36

अनुसूचित पुरुष - 62

पिछड़ी महिला - 41

पिछड़ा पुरुष - 74

सामान्य महिला - 66

सामान्य पुरुष - 141

कुल क्षेत्र पंचायत सदस्य - 21

अनुसूचित महिला - 02

अनुसूचित पुरुष - 03

पिछड़ी महिला - 02

पिछड़ा पुरुष - 03

सामान्य महिला - 03

सामान्य पुरुष - 08

क्या कहते हैं जिम्मेदार

पंचायतों के आरक्षण को लेकर रैपिड सर्वे का काम किया जा रहा है। सर्वे के बाद आपत्तियां 10 जुलाई तक मांगी जाएंगी। लोग इसमें अपनी आपत्ति दाखिल कर सकते हैं। सर्वे में गड़बड़ी होने की संभावना नहीं है। क्योंकि प्रगणक को पूरे परिवार का विवरण भरकर देना है। जिसको सुपरवाइजर द्वारा चेक किया जायेगा। 10 जुलाई तक आपत्तियों के निस्तारण के बाद अद्यतन सूची जिला मुख्यालय पर संकलित की जाएगी। उसके बाद उसे शासन को भेजा जायेगा। रैपिड सर्वे में अगर कोई संतुष्ट नहीं है तो वह जनपद स्तर पर अपनी आपत्ति जिलाधिकारी को दे सकता है।

- डा. अशोक चंद्र मुख्य विकास अधिकारी


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