चित्रों से गांधी, नेहरू को नहीं पहचान पाते विद्यार्थी
इटावा, जागरण संवाददाता : महापुरुषों के चित्रों और दीवारों पर वर्णमाला आदि के लेखन से विद्यालय की चमक
इटावा, जागरण संवाददाता : महापुरुषों के चित्रों और दीवारों पर वर्णमाला आदि के लेखन से विद्यालय की चमक-दमक सहज आकर्षित करती है। शैक्षिक वातावरण उत्तम प्रतीत होता है लेकिन अगले ही क्षण सब-कुछ तब धुंधला सा दिखने लगता है जब विद्यार्थियों का सामान्य ज्ञान परखा जाता है। पांचवीं के विद्यार्थी गांधी, नेहरु, सुभाष, चंद्रशेखर, भगत को उनके चित्र से नहीं पहचान सके। यह किस्सा है बेसिक शिक्षा परिषदीय विद्यालय प्यारमपुरा का। बाल संरक्षण आयोग की सदस्य मनीषा त्रिवेदी ने निरीक्षण की शुरुआत सुबह-सुबह जब इस विद्यालय से की तो यह स्थिति सामने आई। प्यारमपुरा विद्यालय में शैक्षिक गुणवत्ता की स्थिति असंतोषजनक जबकि बाहुरी प्राथमिक विद्यालय में कक्षा अनुसार बच्चों की शैक्षिक प्रगति संतोषजनक पाई गई। प्रधानाध्यापिका दिव्या वर्मा को प्रशस्ति पत्र जारी करने की संस्तुति की गई। इसके विपरीत पूर्व माध्यमिक विद्यालय बाहुरी में व्यवस्थाएं संतोषजनक नहीं पाई गई। आंगनबाड़ी केंद्र प्यारमपुरा में अगस्त 2014 से मुख्य सेविका सुमनलता के आने की शिकायत की गई। इस पर उनके खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की गई। सीएचसी उदी में अधीक्षक डा. फातिमा सिद्दीकी पूर्वाह्न 11.15 बजे नहीं पाई गई। रजिस्टर में उनका बैंक से वेतन निकालने के लिए जाना दर्शाया गया जबकि सीएचसी में अपराह्न 2 बजे तक बैठने का समय निर्धारित है। यहां पर जननी सुरक्षा के अभिलेख नहीं दिखाए जा सके।
व्यस्ततम दौरे में आयोग की सदस्य ने राजकीय महिला शरणालय में सभी व्यवस्थाएं संतोषजनक पाईं। वर्तमान में 25 अंडर ट्रायल और 7 नैतिक संकट (लावारिस) कुल 32 महिलाएं शरणालय में हैं। इनमें जो लड़कियां स्वेच्छा से अपने घर जाना चाहती हैं उनको घर भेजने की व्यवस्था की जाएगी। निरीक्षण के वक्त एक मूक-बधिर बच्ची ने इशारों से घर जाने की इच्छा जाहिर की लेकिन वह अपने पता के बारे में नहीं बता सकी। इस पर आयोग की सदस्य का कहना है कि एनजीओ के विशेषज्ञों को भेजकर बच्ची का पता जानने की कोशिश की जाएगी और उसको घर भेजा जाएगा।
सूड़ियां पाने पर खाद्यान्न फिकवाया
राजकीय विशेष गृह किशोर का निरीक्षण किए जाने पर यहां तीन अपचारी पाए गए। राशन को बारीकी से परखे जाने पर आटा, दाल, बेसन आदि में कीड़े सूड़ियां पाई गईं। इस पर उनको बाहर फेंकवा दिया गया। जब आयोग की सदस्य ने इस पर नाराजगी जताई तो प्रभारी अधीक्षक ने सफाई दी कि विशेष गृह में अपचारियों की संख्या गिरकर एक माह से तीन ही है। पिछले वर्ष संख्या 40 थी, उसी के अनुरूप पहले से ही राशन व्यवस्था थी। सदस्य ने अपचारियों के खान-पान पर विशेष ध्यान दिए जाने के लिए निर्देशित किया। उन्होंने कहा कि अगली बार वह अगस्त में निरीक्षण करने आएंगी तब व्यवस्थाओं में सुधार न पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी। अपचारियों ने मनोरंजन के लिए डिश लगाए जाने की मांग रखी, जिसको मंजूर कर लिया गया। निरीक्षण के दौरान जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी रजनीश पांडेय मौजूद रहे।