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आलू की फसल में झुलसा रोग की आशंका बढ़ी

इटावा, जागरण संवाददाता : जनपद में दो-तीन दिन से लगातार बादल छाये हुए है। हल्की बरसात भी हो चुकी है ऐ

By Edited By: Published: Wed, 17 Dec 2014 05:13 PM (IST)Updated: Wed, 17 Dec 2014 05:13 PM (IST)

इटावा, जागरण संवाददाता : जनपद में दो-तीन दिन से लगातार बादल छाये हुए है। हल्की बरसात भी हो चुकी है ऐसी परिस्थिति में आलू की फसल में झुलसा रोग के प्रकोप होने की आशंका है। जनपद के सभी विकास खंडों में आलू की फसल बोई गई है। जिसमें महेवा, बढपुरा, जसवंतनगर, सैफई और बसरेहर विकास खंडों में काफी क्षेत्रफल में आलू की फसल बोई गई है।

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मुख्य विकास अधिकारी अशोक चंद्र ने बताया कि आलू का पिछेती फसल में झुलसा रोग के प्रारंभिक प्रकोप में आलू के पौधे की पत्तियां मुड़कर कटोरी नुमा हो जाती है तत्पश्चात पत्तियों पर किनारे से कत्थई भूरे रंग के धब्बे बनते हैं जो हाथ से पकड़ने पर स्पंज की तरह दब जाते हैं। अधिक प्रकोप की दशा में डंढल व तना भी कत्थई/काले रंग के हो जाते हैं। इसकी रोकथाम हेतु मैंकोजेब 75 प्रतिशत की 800 ग्राम से 1 किग्रा मात्रा अथवा कॉपर आक्सीक्लोरॉइड 50 प्रतिशत की 1 से 1.25 किग्रा मात्रा 300 से 350 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से सुरक्षात्मक छिड़काव करें। आवश्यकतानुसार 10-12 दिन के अन्तराल पर 2-3 छिडकाव करें, यदि आलू की फसल में झुलसा रोग का प्रकोप स्पष्ट दिखाई पडे़ तो मैंकोजेब 64 प्रतिशत मैटालेक्सल 8 प्रतिशत की 1 किग्रा मात्रा अथवा मैकोजेब 63 प्रतिशत कार्बन्डाजिम 12 प्रतिशत की 500-600 ग्राम मात्रा को 300-350 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। मुख्य विकास अधिकारी ने बताया कि बेक्टीरियल ब्लाइट रोग में आलू की पत्तियां पर काले रंग के धब्बे पडते हैं जो तीव्र प्रकोप की दशा में तने पर फैलते हैं। जिससे तना काला पड़कर सडने लगता है। इस रोग के निवारण हेतु स्टेप्टोसाइक्लीन की 6 ग्राम मात्रा प्रति एकड़ की दर से 300-350 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। उन्होंने किसानों को सलाह दी है कि आलू की फसल में झुलसा रोग के निवारण हेतु सुरक्षात्मक छिड़काव अवश्य करें।


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